ट्रम्प के फैसलों के बावजूद अमेरिका बढ़ रहा है शून्य उत्सर्जन की ओर

ब्लूमबर्ग एलपी और ब्लूमबर्ग फिलैंथरोपीज के संस्थापक, अमेरिकाज़ प्लेज के मौजूदा अध्यक्ष और न्यूयार्क सिटी के तीन बार मेयर रह चुके माइकल ब्लूमबर्ग ने कहा "अमेरिकाज़ प्लेज की ताजा रिपोर्ट यह जाहिर करती है कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पेरिस समझौते से अलग होने के फैसले और पिछले चार साल के दौरान अमेरिकी सरकार के जलवायु परिवर्तन संबंधी अनेक समझौतों से अलग होने के बावजूद अमेरिका के राज्यों, नगरों और कारोबारी इकाइयों ने मिलजुल कर काम करते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रगति का सिलसिला जारी रखा है। मगर रिपोर्ट यह भी बताती है कि हम व्हाइट हाउस के नेतृत्व में और अधिक तेजी से कहीं ज्यादा काम कर सकते हैं। यही वजह है कि नवंबर में देश में होने वाला राष्ट्रपति का चुनाव जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के लिहाज से भी सबसे महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है।"
अमेरिकाज़ प्लेज के सह अध्यक्ष और कैलीफोर्निया के पूर्व गवर्नर जेरी ब्राउन ने कहा "पश्चिमी अमेरिका के हिस्सों में भड़की अभूतपूर्व आग और राष्ट्रपति ट्रम्पक के जलवायु संरक्षण संबंधी समझौतों से इनकार के बीच अमेरिकाज़ प्लेज हमें एक रास्ता दिखाता है। अमेरिका के विभिन्न राज्य, शहर और कारोबारी इकाइयां पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के साथ-साथ चेतावनी भी जारी कर रही हैं। हमारे भविष्य पर ग्रहण लगा रहे नुकसानदेह कार्बन उत्सर्जन को रोकने से ज्यादा महत्वपूर्ण काम और कुछ नहीं हो सकता।"
यहां तक कि कोविड-19 महामारी और आर्थिक मंदी के बावजूद अमेरिका के राज्यों, नगरों और कारोबारी इकाइयों द्वारा जलवायु संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रगति को धीमा नहीं होने दिया। इस साल का अध्ययन यह जाहिर करता है कि कोविड-19 महामारी और मंदी की चुनौतियों के बावजूद अमेरिका अक्षय ऊर्जा रूपांतरण के मामले में एक अपरिवर्तनीय टिपिंग प्वाइंट पर पहुंचने में सफल रहा है। अमेरिकी राज्यों के प्रशासन तथा स्थानीय नेताओं द्वारा उठाये गए अभूतपूर्व और साहसिक कदमों, बाजार की शक्तियों में निर्णायक बदलाव और जनता की भारी मांग की वजह से ऐसा हो सका।
डिलीवरिंग ऑन अमेरिकाज़ प्लेज : अचीविंग क्लाइमेट प्रोग्रेस इन 2020 रिपोर्ट उन रास्तों का भी जिक्र करती है जिनके तहत क्षेत्र विशेष संबंधी निवेशों से युक्त कोविड रिकवरी पैकेज से ऐसी मजबूत अर्थव्यवस्था बनाई जा सकती है जिसमें रोजगार के अधिक अवसर होने के साथ-साथ अमेरिका के लोगों को साफ हवा और सस्ती ऊर्जा मिल सके। इन क्षेत्र विशेष निवेशों में ग्रिड का आधुनिकीकरण, बिजली का ट्रांजिट, बिल्कुल भी प्रदूषण न छोड़ने वाली इमारतें, एंड-ऑफ-लाइफ-रेफ्रिजरेंट डिस्पोजल, कम आमदनी वाले वर्गो तथा प्रभावित समुदायों को सहयोग करना शामिल हैं।
अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि सकारात्मक कार्य प्रगति और बाजार से मिल रहे संकेतों के बावजूद संघीय सरकार और गैर संघीय प्रशासनिक इकाइयों की तरफ से एक समन्वित और मजबूत प्रयास करना अभी बाकी है ताकि उन लक्ष्यों के लिए जरूरी स्वच्छ समाधान को वांछित रफ्तार और पैमाने पर लागू किया जाए जिन्हें वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के बदतर प्रभावों को टालने के लिए जरूरी बताया है।
अन्य तथ्यों के अलावा इस अध्ययन के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं
• पिछले 3 वर्षों के दौरान संघीय सरकार के विरोध के बावजूद अमेरिका के गैर संघीय नेताओं ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए क्षेत्रवार प्रयासों को दोगुना कर दिया है, जिसकी वजह से देश में प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिली है। इस वक्त हर तीन में से एक अमेरिकी नागरिक 100% स्वच्छ बिजली की इच्छा रखने वाले समाज में जीता है। तीन साल पहले सिर्फ हवाई और 33 अन्य शहरों ने 100% स्वच्छ ऊर्जा के प्रति अपनी संकल्पबद्धता जताई थी। अमेरिका के 16 राज्यों में सम्भा।वित ग्रीन हाउस गैस एचएफसी के इस्तेमाल को चरणबद्ध ढंग से कम करने के नियम-कानून या तो पारित किए हैं या फिर पारित करने का संकल्प किया है। पिछले तीन वर्षों के दौरान इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार भी दोगुना हो गया है।
• कोविड-19 वैश्विक महामारी और आर्थिक मंदी ने जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के प्रयासों पर कोई विपरीत असर नहीं डाला है। अमेरिकाज़ प्लेज ने पांच ऐसे प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है जिनमें वर्ष 2030 तक प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में भारी कमी लाने की संभावना है। इन क्षेत्रों में बिजली, परिवहन, निर्माण, मीथेन और एचएफसी शामिल हैं। वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में कमी लाने की महत्वाकांक्षा पूरी करने में इन क्षेत्रों की क्षमता को लेकर विश्वास में बढ़ोत्तहरी हुई है। इसमें निर्माण क्षेत्र एक अपवाद है, जिसमें विश्वास का भाव बिल्कुल नहीं बदला है।
• अमेरिका 100% प्रदूषण रहित बिजली उत्पादन की तरफ कदम बढ़ा रहा है। प्रदूषण रहित ऊर्जा के मजबूत मूलभूत आर्थिक तत्वों की वजह से ऊर्जा का उत्पादन कोयले से हटकर अक्षय माध्यमों की तरफ लगातार रुख कर रहा है जो यह जाहिर करता है कि हमने ऊर्जा रूपांतरण के टिपिंग पॉइंट को पार कर लिया है। हालांकि कोविड-19 महामारी और आर्थिक मंदी ने अक्षय ऊर्जा की कुछ परियोजनाओं और ऐसी ऊर्जा से संबंधित कानूनों के क्रियान्वयन की रफ्तार कुछ धीमी कर दी है, मगर राज्यों, नगरों और कारोबारी इकाइयों द्वारा उठाए जा रहे नए कदमों और जताए जा रहे संकल्पों से इस बात की संभावना है कि आने वाले दशक में यह अभियान तेजी से जारी रहेगा।
• परिवहन के क्षेत्र में मध्यम और हैवी ड्यूटी इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में तेजी से हो रही तरक्की और यातायात में दीर्घकालिक कमी की संभावना के मद्देनजर ऐसी उम्मीद है कि इससे मौजूदा नकारात्मक जन परिवहन रुझान बेअसर हो जाएंगे। कोविड-19 महामारी के बाद अमेरिका अब ‘न्यू नॉरमल’ से तालमेल बैठा रहा है और रिमोट वर्किंग तथा ई-कॉमर्स के कारण व्यवहार में हो रहे बदलावों के चलते अमेरिका में यात्रियों द्वारा किए जाने वाले सफर में 10% तक की स्थाई कमी हो सकती है। इसके अलावा राज्यों ने ऐसे लक्ष्यों का ऐलान किया है जिनसे मध्यम तथा हैवी ड्यूटी वाहनों से होने वाले प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में तेजी से कमी होगी। इसके अलावा लाइट ड्यूटी एमिशंस रूल्स, प्रदूषण रहित वाहन मानक तथा इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के स्तलर पिछले वर्ष के विश्लेषण के अनुमानों के बराबर साबित हो रहे हैं। जन परिवहन एजेंसियों को यात्रियों तथा वाहन चालकों की सुरक्षा का ख्याल करते हुए अपनी सेवा को बहाल और व्यवस्थित रखने के लिए आगामी आर्थिक क्षतिपूर्ति और प्रोत्साहन पैकेज में उल्लेखनीय सहयोग की जरूरत पड़ेगी।
• मीथेन गैस के उत्सर्जन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार माने जाने वाले तेल एवं गैस उद्योग को हाल में कीमतों के मोर्चे पर लगे झटकों और मांग में दीर्घकालिक गिरावट के अंदेशों का सामना करना पड़ रहा है। निकट अवधि के मूल्य संबंधी झटकों और वाहनों के विद्युतीकरण के बढ़ते नीतिगत तथा औद्योगिक समर्थन के परिणामस्वरूप मांग, उत्पादन और निवेश में उल्लेखनीय गिरावट आई है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो नए स्रोतों से मीथेन गैस के उत्सर्जन में खासी गिरावट आएगी। प्रमुख जोखिम और अनिश्चितताएं बनी हुई हैं क्योंकि नियामक रुझान पैच वर्क जारी रखे हुए हैं और मौजूदा स्रोतों से उत्सर्जन में बढ़ोत्त री नजर आ रही है। खासतौर से बेकार पड़े कुओं से।
• हाल के रुझानों से ऊर्जा उपयोग के निर्माण पर कोई उल्लेखनीय दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। कुछ क्षेत्राधिकारों में महामारी के कारण पैदा हुई आर्थिक मुश्किलों को दूर करने के लिए दक्षता के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाया जा रहा है। अन्य क्षेत्राधिकारों में कोविड-19 और आर्थिक मंदी ने कार्यक्रमों के क्रियान्वयन, वित्तीय निवेश और नीतियों के लागू करने पर रोक लगा दी है। नई और मौजूदा इमारतों के विद्युतीकरण की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं। हालांकि कुछ राज्यों में विद्युतीकरण की नीतियों को राजनीतिक रुकावटों का सामना करना पड़ा है।