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विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में तेजी, CBI ने 40 ठिकानों पर की छापेमारी

उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे ही नजदीक आ रही है वैसे ही सपा कार्यकाल में बनवाए गए रिवर फ्रंट की जांच सीबीआई द्वारा और तेज कर दी गई है। 2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया था। करीब साढ़े तीन साल से चल रहे इस घोटाले की जांच में अब अचानक से तेजी आ गई है। सीबीआई की एंटी करप्शन विंग ने इस घोटाले में तत्परता दिखाते हुए शुक्रवार को 190 लोगों पर केज दर्ज किया।
इसके अलावा सीबीआई की टीम ने यूपी, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के कुल 40 जगहों पर छापेमारी की। वहीं, यूपी में लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर और रायबरेली में रेड मारी गई।
बता दें कि रिवर फ्रंट घोटाले में निर्माण कार्य को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। भाजपा सरकार ने आरोप लगाए हुए कहा था कि इस निर्माण के लिए दागी कंपनियों को काम सौंपा गया। जो समान सस्ता मिल सकता था उसे जनभुजकर कर विदेशों से महंगे दाम पर खरीदा गया। इस मामले में को सपा नेताओं पर फिजूलखर्ची का आरोप भी लगा हुआ है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि नक्शे के अनुसार रिवर फ्रंट के कार्य को पूरा नहीं किया गया है।
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घोटाले की बात सामने आने के बाद योगी सारकर ने जांच के आदेश के साथ न्यायिक आयोग गठित किया था। जांच में यह बात सामने आई है, डिफ़ॉक्टर कंपनियों को ठेका देने के लिए टेंडर में बदलाव किया गया था। न्यायिक आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर की थी। जिसके बाद योगी सारकर ने इस घोटाले के लिए केंद्र से सीबीआई जांच की मांग की थी।
उल्लेखनीय है कि सपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 1513 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इस प्रोजेक्ट के लिए शरुआत में 1437 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। इसके बावजूद भी रिवर फ्रंट का निर्माण सिर्फ 60 फीसदी ही हुआ। जांच में पता चला कि कंपनियों ने 95 फीसदी बजट खर्च करके सिर्फ 60 फीसदी निर्माण ही करवाया।
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