महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने कहा, महाराष्ट्र विधानसभा में नहीं लाया जाएगा CAA के खिलाफ प्रस्ताव।

Janprahar Desk
28 Jan 2020 9:35 AM GMT
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने कहा, महाराष्ट्र विधानसभा में नहीं लाया जाएगा CAA के खिलाफ प्रस्ताव।
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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने कहा केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बनाए गए नागरिकता संसोधन कानून (CAA) के खिलाफ कई कुछ राज्यों के विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया है। ऐसे राज्यों में केरल (Kerala), पंजाब (Punjab), राजस्थान (Rajasthan) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) का नाम शामिल है। कयास लगाए जा

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने कहा केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बनाए गए नागरिकता संसोधन कानून (CAA) के खिलाफ कई कुछ राज्यों के विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया है। ऐसे राज्यों में केरल (Kerala), पंजाब (Punjab), राजस्थान (Rajasthan) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) का नाम शामिल है। कयास लगाए जा रहे थे कि महाराष्ट्र विधानसभा में भी इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जाएगा। हालांकि उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने इस मामले पर स्थिति स्पष्ट कर दी है।

उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) के बयान से तो यह कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पेश नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाले केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में एक ही पार्टी की सरकार है। महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है, यहां तीन दलों (एनसीपी (NCP), कांग्रेस (Congress) और शिवसेना (Shivsena) के गठबंधन की सरकार है।

आगे उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने साफ कहा है कि सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) से किसी को भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हमारे यही विचार हैं।


केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी इसके खिलाफ सोमवार को प्रस्ताव पास किया गया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ अल्पसंख्यकों का ही नहीं बल्कि सभी का है।

नागरिकता कानून में पड़ोसी अफगानिस्तान (Afghanistan), पाकिस्तान (Pakistan) और बांग्लादेश (Bangladesh) में रह रहे प्रताड़ित हिन्दू, सिख, ईसाई और पारसी को नागरिकता देने का प्रावधान है। नागरिकता संशोधन कानून को संसद के दोनों सदनों में पास करा लिया गया है। राष्ट्रपति की भी मुहर लग चुकी है। उसके बाद से लगातार इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है।

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