
Woman Naga Sadhu: महिला नागा साधुओं का ये.... राज जानकर हैरान हो जाएंगे आप।

Woman Naga Sadhu: This is the woman Naga sadhus. You will be surprised to know the secret.
Woman Naga Sadhu: प्रयागराज में जल्द शुरू होगा माघ मेला। इस दौरान सिर्फ श्रद्धालु ही,नहीं बल्कि कई मील दूर से भी कुछ श्रद्धालु भक्त स्नान करने आते हैं, इनमें से कई साधु विदेशी हैं। कुछ लोग इस संगम में मन की शांति पाने के लिए डुबकी लगाते हैं,तो कुछ अपने पाप धोने के लिए आते है। कुंभ मेले का आयोजन न केवल प्रयागराज में बल्कि हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी किया जाता है। वर्तमान में नागा साधु कुंभ मेले में आकर्षण का केंद्र रहे हैं। लोग इन साधुओं को दूसरों से अलग नजर से देखते हैं।
लोग इनके बारे में जानने के लिए और भी ज्यादा उत्सुक रहते हैं। नागा महिलाओं में उत्सुकता अधिक होती है। वे कहाँ रहती हैं, कहाँ से आते हैं? उनका जीवन वास्तव में कैसा होता है? आपने हमेशा महिला नागा साधुओं या सन्यासियों को पीले-नारंगी रंग के कपड़ों में देखा होगा। दरअसल महिला नागा साधु बनना इतना आसान नहीं है, इसके लिए आपको परीक्षा पास करनी पड़ती है। परीक्षा उत्तीर्ण करने पर माता की उपाधि प्रदान की जाती है। घोर तपस्या के बाद उस अखाड़े के सभी ऋषि-मुनि उसे माता कहते हैं। महिला नागा साधुओं को हमेशा पीले-नारंगी रंग के कपड़े पहनने होते हैं। नागा साधुओं का जीवन बेहद रहस्यमयी है, लेकिन क्या आपने कभी महिला नागा साधुओं के बारे में सुना है? हम आपको महिला नागा साधुओं के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताने जा रहे हैं।
महिला नागा साधुओं को घर-गृहस्थी की चिंता नहीं है। उनका जीवन बहुत कठिन है। महिला नागा साधुओं के जीवन के बारे में कोई नहीं जानता। सभी कुंभ में शामिल होने के बाद गायब हो जाते हैं और कुंभ मेले के दौरान ही सार्वजनिक तौर पर नजर आते हैं। नागा साधु बनने की उनकी परीक्षा लंबे समय तक चलती है। नागा साधु या सन्यासी बनने के लिए १० से १५ वर्षों तक प्रतिदिन कठोर ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना पड़ता है। नागा साधु बनने के लिए महिलाओं को कई तरह की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं,कई वर्षों तक कड़ी मेहनत और तपस्या से उसे अपने गुरु को यह विश्वास दिलाना पड़ता है कि वह नागा साधु बनने में सक्षम है।
नागा तपस्वी महिलाएं दिन भर भक्ति में लीन रहती हैं और सुबह-शाम भगवान के नाम का जाप करती हैं। सिंहस्थ और कुंभ में ये महिला नागा साधु शाही स्नान करती हैं। दोपहर के भोजन के बाद वे भगवान शिव का जाप करते हैं। अखाड़े में महिला साधुओं का काफी सम्मान होता है।
अखाड़े के ऋषि-मुनि नागा साधु बनने वाली महिला के परिवार की जानकारी रखते हैं। नागा साधु बनने के लिए उन्हें जीते जी अपना पिंडदान दान करना होता है। पिंडदान के बाद पवित्र नदी में मुंडन और स्नान करना चाहिए। हालांकि यह पूरी प्रक्रिया कुंभ मेले के दौरान ही गुपचुप तरीके से की जाती है।