

पवन पुत्र हनुमान भगवान शिव का अवतार है दुनिया भर में भक्तों द्वारा इन्हें राम भक्तों के नाम से जाना जाता है क्योंकि वो राम जी के सबसे बड़े भक्त थे।स्वामी भक्ति बल और बुद्धिमता के लिए वह संसार में शीर्ष माने जाते हैं। पवन पुत्र के रूप में वैसी तेजी है जैसी तेजी हमारे मन में होती है।
आप सब ने भी सुना होगा हनुमान जी को अक्सर संकट मोचन नाम से भी पुकारा जाता है लेकिन हनुमान जी को संकट मोचन क्यों कहा गया है तो दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे बजरंगबली के संकट मोचन कहानी का रहस्य।
आपको बताते हैं जो कोई भक्त महावीर हनुमान का ध्यान करता रहता है उसके सभी कष्ट स्वयं ही कट जाते हैं और सभी पीड़ाये भी नष्ट हो जाती है। पौराणिक मान्यताओं में बजरंगबली को कलयुग का प्रत्यक्ष देव कहा गया है मान्यता यह भी है कि हनुमान को अजर अमर होने का आशीर्वाद स्वयं माता सीता से मिला था तभी से महावीर हनुमान अपने प्रिय भक्तों के संकट हरने के लिए पृथ्वी पर ही विचरण करते रहते हैं।
रामायण में जिस कुशलता से उन्होंने तमाम समस्याओं का समाधान किया वह बिना विशेष योग्यता के हो ही नहीं सकता समय ज्ञान वानी और संसाधनों का सटीक प्रयोग करने के कारण ही हम यह मैनेजमेंट गुरु भी कह सकते हैं साथ ही हर तरह के संकट का नाश चतुराई से करने के कारण वह संकटमोचन भी कहे जाते हैं।
पौराणिक मान्यताओं में बजरंगबली कलयुग का प्रत्यक्ष देव कहा गया है रामायण काल में हनुमान जी राम जी की भक्ति को लेकर सबसे अधिक विख्यात थे जब रावण ने भगवान श्री राम की पत्नी सीता माता का हरण किया था तो हनुमान जी ने ही उन्हें ढूंढकर राम जी को बताया था कि रावण ने उन्हें कहां पर रखा है। हनुमान जी राम जी के दूत बनकर रावण के पास गए थे और जब रावण ने उन्हें पकड़ लिया था तो वह अपनी बहादुरी से लंका में आग लगाकर बचने निकले थे उन्होंने भगवान राम के वनवास काल में उनके मार्ग में आने वाले समस्त बाधाओं और संकटों को दूर कर अपनी सच्ची भक्ति का प्रमाण दिया था।
कहते हैं कि जीवन में संकट कैसा भी आए हनुमान जी के पास उसका समाधान जरूर होता है इस धरती पर कोई ऐसा कष्ट और ऐसी कोई पीड़ा नहीं होती है जिसका निदान करने में महावीर हनुमान असमर्थ हो इसीलिए अगर आपके जीवन में भी बार-बार संकट आते हैं या कोई भी काम पूरा होने में बाधाएं आती हैं तो भगवान हनुमान की उपासना करनी चाहिए।
भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा संकट से हनुमान छुडावे मन क्रम बचन ध्यान जो लावो इस श्लोक का अर्थ है जो भक्त हनुमान जी को संकट के समय सच्चे मन से याद करता है हनुमान जी संकट को दूर कर लेते हैं। चाहे भक्तों को किसी भी प्रकार का जटिल जटिल संकेत हो वो उसे उबार लेते हैं।