
कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम कर देवता माना गया है उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है कामदेव विवाहित है और उनकी पत्नी का नाम रति है लेकिन एक ऐसा समय आया जब उनकी पत्नी रति ने उनको मां बनकर पाला और फिर बाद में कामदेव को अपने पति के रूप में स्वीकार किया था।
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कहते है की सती ने अपने पिता दक्ष की मर्जी के खिलाफ जाकर भगवान शिव से शादी की थी दक्ष ने विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने उस यज्ञ मे अपने दामाद और पुत्री को निमंत्रण नहीं भेजा यह अपमान बर्दाश्त सती नहीं कर पाए और उन्होंने वही यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।
तब सती ने ही बाद में पार्वती के रूप में जन्म लिया। सती मृत्यु के पश्चात भगवान् शिव संसार के सभी बंधनो को तोड़कर मोह माया को पीछे छोड़कर तप में लीन हो गए पर आंखें नहीं खोल रहे थे लेकिन इसी बीच महाबली राक्षस तारकासुर ने अपने तप से भगवान ब्रह्मा को खुश कर वरदान मांगा वरदान में भगवान शिव के पुत्र के द्वारा अपनी मौत मांगी। वरदान के प्राप्त होने पर वो राक्षस पूरी सृष्टि में आतंक मचाने लगा सब चिंतित हो गए और देवताओं ने भगवान शिव को जगाने के लिए कामदेव को जिम्मेदारी दी सभी देवताओं के आग्रह करने पर कामदेव ने अपना पुष्प बाण चलाकर शिव के भीतर देवी पार्वती के लिए आकर्षण विकसित किया पुष्प बाण सीधे भगवान शिव के हृदय में लगा और उनकी समाधि टूट गयी।
समाधि टूट जाने से भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और शिव ने क्रोधित होकर जब आंखें खोली तो उससे कामदेव भस्म में हो गए जब शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया तब ये देख काम देव की पत्नी विलाप करने लगी। तभी आकाशवाणी हुई को जिसमे रति को भगवान शिव की आराधना करने को कहा गया श्रद्धापूर्वक भगवान शिव से प्रार्थना कीरति की प्रार्थना से प्रसन्न होकर शिव जी ने कहा की कामदेव ने मेरे मन को विचलित किया था इसलिए मैंने उसे भस्म कर दिया। अब अगर कामदेव अनंग रूप में महाकाव्य में जाकर शिवलिंग की आराधना करेंगे तो उनका उद्धार होगा तब कामदेव महाकाव्य वन आये और उन्होंने पूर्ण भक्ति भाव से शिवलिंग की उपासना की।
उपासना के फल स्वरुप शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि तुम अनंग यानी शरीर की बिन रहकर ही समर्थ रहोगे। कृष्ण अवतार के समय तुम रुकमणी के गर्भ से जन्म लोगे और तुम्हारा नाम प्रद्युम्न होगा शिव के कहे अनुसार भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी को प्रदुम नाम का पुत्र हुआ जो कि कामदेव का ही अवतार था ।
कहते है की श्री कृष्ण से दुश्मनी के चलते राक्षस समरा सुर नवराज प्रदुम का अपहरण करके ले गया और उसे समुद्र में फेंक आया और शिशु को एक मछली ने निगल लिया और वह मछली मछुआरों द्वारा पकड़ी जाने के बाद समरा सुर की रसोई घर में पहुंच गई तब रति रसोई में काम करने वाली मायावती नाम की स्त्री का रूप धारण करके रसोई घर में पहुंच गए वहां आयी मछली को उसने ही काटा और उसमें से निकले बच्चे को मां के समान पाला पोसा जब वो बच्चा युवा हो गया तो उसे पूर्व जन्म की सारी बाते याद दिलाई की वह कामदेव का ही अवतार है इतना ही नहीं सारी कलाये भी सिखाई तब प्रदुमन ने समरा सुर का वध किया और फिर मायावती यानी रति को अपनी पत्नी के रूप में द्वारिका ले आये।