
प्राकृतिक आपदा का संकेत पहले ही दे देता है इस कुंड का पानी।

मंदिर में नंगे पांव दर्शन के लिए आते हैं भक्त जल कुंड का पानी काला होने पर मच सकती है तबाही।
भारत देश में वैसे तो चमत्कारी और अनोखे मंदिरों के बारे में वैज्ञानिक भी आज तक पता नहीं लगा पाए। लेकिन आज मैं आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रही हु जो प्राकृतिक आपदा का पहले ही संकेत दे देता है।
ये मंदिर कश्मीर के गांदेरबल जिले में खीर भवानी और राज्ञा देवी मंदिर के नाम से स्थित है मान्यताओं के मुताबिक यहां पर दुर्गा मां भव्य रूप में विराजित है कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना कश्मीर में हनुमान जी ने की थी। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर जो भी श्रद्धालु नंगे पांव चलकर आता है मां दुर्गा उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है और पुरुष श्रद्धालु मंदिर के समीप जलधारा में स्नान करते हैं उसके बाद मंदिर परिसर में स्थित जल कुंड में खीर चढ़ाते हैं।
माना जाता है कि मंदिर के नीचे बहने वाली जलधारा के पानी का रंग घाटी के कल्याण का संकेत देता है। अगर इसका रंग काला होता है तो ये अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि किसी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले मंदिर के कुंड का पानी काला पड़ जाता है तो वही स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि खीर जो सामान्य रूप से सफेद रंग की होती है उसका रंग काला हो जाता है जो अप्रत्याशित विपत्ति का संकेत होता है।
मई के महीने में पूर्णिमा के आठवें दिन बड़ी संख्या में भक्त यहां एकत्रित होते हैं ऐसा विश्वास है कि इस शुभ दिन पर दिन पर माँ भवानी पानी का रंग बदलती है इस तरह स्थानीय लोगों को संकट की सूचना पहले ही मिल जाती है लोग इसे माता का चमत्कार मानते हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि मंदिर में हर साल एक पारंपरिक मेला लगता है जो कि पारंपरिक श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हर लगने वाले इस मेले को खीर भवानी मेला कहते हैं यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं धार्मिक मंत्रोच्चार के बीच मंदिर में घंटी बजाकर देवी के दर्शन करते हैं।
तो चलिए अब आपको मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा बताते हैं ये रामायण काल की बात है पहले खीर भवानी माता का मंदिर श्रीलंका में था यहाँ माता की स्थापना रावण ने की थी। रावण ने करी साधना कर माता को प्रसन्न किया था और मंदिर बनाया था हालांकि बाद में रावण के बुरे कार्यों से मात्र रूठ गई थी इसके बाद जब माता सीता की तलाश में हनुमान जी लंका पहुंचे तो माता ने उनसे कहा कि वे उन्हें अन्यत्र स्थापित करें हनुमान जी माता को कश्मीर इस गाँव में स्थापित किया था तब से ये मंदिर श्री नगर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है।
इस मंदिर के चारों और चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं हैं जो यहां की सुंदरता को बढ़ाती है और इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर प्रसाद के रूप में भक्तों द्वारा केवल एक भारतीय मिठाई खीर और दूध ही चढ़ाया जाता है वास्तविक रूप से 1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा इंदु देवी राज्ञा के सम्मान में बनवाए गए इस मंदिर का पुनर्निर्माण महाराजा हरिश्चंद्र ने किया।