
उपराष्ट्रपति ने शिवगिरी तीर्थदान मठ के 87वें सम्मेलन का उद्घाटन किया |

नारायण गुरु भारत के महान संत एवं समाजसुधारक थे। कन्याकुमारी जिले में मारुतवन पहाड़ों की एक गुफा में उन्होंने तपस्या की थी। गौतम बुद्ध को गया में पीपल के पेड़ के नीचे बोधि की प्राप्ति हुई थी। नारायण गुरु को उस परम की प्राप्ति गुफा में हुई।
देश के उप राष्ट्रपति वैंकय्या नायडु ने आज केरल में वर्कला के शिवगिरी तीर्थदान मठ में 87वें शिवगिरी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उप राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीनारायण गुरू महान दूरदृष्टा थे, जिनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं । उन्होंने लोगों से श्रीनारायण गुरू की शिक्षाओं का पालन करने का अनुरोध किया , जिन्होंने जाति और वर्ग पर आधारित सभी तरह के भेदभाव को समाप्त करने पर बल दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि बिना जाति, धर्म और समुदाय के भेदभाव भारत एक है तथा हर किसी को भारतीय संस्कृति को अपनाने और इसके प्रचार-प्रसार के प्रयास करने चाहिए।
आज दिन में उपराष्ट्रपति तिरूवनन्तपुरम के साईग्राम में श्री सत्यसाई अनाथालय न्यास के रजत जयन्ती समारोह का उद्घाटन करेंगे। शाम को श्री नायडू नलन्चिरा में राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के समापन समारोह में भी शामिल होंगे।
नारायण गुरु का जन्म दक्षिण केरल के एक साधारण परिवार में 26 अगस्त 1854 में हुआ था। भद्रा देवी के मंदिर के बगल में उनका घर था। एक धार्मिक माहौल उन्हें बचपन में ही मिल गया था। लेकिन एक संत ने उनके घर जन्म ले लिया है, इसका कोई अंदाज उनके माता-पिता को नहीं था। उन्हें नहीं पता था कि उनका बेटा एक दिन अलग तरह के मंदिरों को बनवाएगा। समाज को बदलने में भूमिका निभाएगा।
आज हमारे देश के उप राष्ट्रपति ने इसी महान संत की शिवगिरी तीर्थदान मठ के 87वें सम्मेलन का उद्घाटन किया |