
निसंतान दम्पति की संतान प्राप्ति की इच्छा इस मंदिर में होती है पूरी।

ऐसा खास रहस्य्मय मंदिर जहां हर रोज दर्शन करने आते हैं 30000 से भी ज्यादा सांप। इस मंदिर के रहस्य को अगर आप सुनेंगे तो आप भी हैरान रह जाएंगे।
तो दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताउंगी जिनके बारे में शायद ही आपने सुना होगा आज इसी कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं। एक खास मंदिर की। दोस्तों वैसे तो सांप बहुत ही बड़ी विषैले जीव होते है हर कोई इससे डरता है। तो वहीं अगर धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो देवों के देव महादेव इसे अपने गले में आभूषण के तौर पर धारण करते हैं इसीलिए इन्हें पूजनीय माना जाता है।
हिंदू धर्म में इन्हें नाग पंचमी नामक दिन अर्पित किया गया है जो इस दौरान इन्हें दूध पिलाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है मान्यता है कि जिनकी पूजा से कुंडली में पैदा हुआ काल सर्प दोष समाप्त हो जाता है।
आज मैं आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताउंगी जहां परिसर में 30,000 सांपों की प्रतिमाएं मौजूद है और हैरान कर देने वाली बात तो दोस्तों यह है कि यहां पर हर रोज 30000 साँप पूजा करने के लिए भी आते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन हमारे देश के एक कोने में एक ऐसा मंदिर है जहां आज तक आपने हिंदू धर्म के अन्य देवी-देवताओं के कई मंदिर देखे होंगे। लेकिन दोस्तों यह जो मंदिर है यह केरल के मन्नारसाला में स्थित है जिसे सर्प मंदिर भी कहा जाता है।
कहा जाता है देश में तो वैसे विभिन्न स्थानों पर सांपों के मंदिर है लेकिन यह मंदिर सबसे अनोखा माना गया है इतना ही नहीं इस मंदिर को भारत के आश्चर्यजनक मंदिर में से एक माना जाता है।
मन्नारशाला के अल्लाह पूजा से जिसे अल्वी भी कहते हैं 37 किलोमीटर से दूर यह मंदिर स्थित है जो नागराज और उनकी अर्धांगिनी नागयक्षी को समर्पित है। कहा जाता है कि ये मंदिर लगभग 16 एकड़ के भूभाग में फैला हुआ है और मंदिर के हर कोने हर हिस्से में सांपों की प्रतिमा है। जिनकी गिनती करीबन 30000 बताई जाती है।
वही दोस्तों इस मंदिर से जुड़ी किंवदंतियों की बात करें तो उसके अनुसार महाभारत काल में खंडवा नामक एक वन प्रदेश था जिसे किसी कारणवश जला दिया गया था जिसका एक हिस्सा बन गया था ऐसा कहा जाता है कि बन के सभी सर्पो के साथ अन्य कई जीव जंतुओं ने यहां शरण ली। दोस्तों कहा जाता है कि मंदिर परिसर से ही लगा हुआ है एक नामुदनी का साधारण सा खानदानी घर।
यह बताया जाता है वहां पर ब्रह्मचर्य का पालन हुआ करता था और दूसरे पुजारी परिवार के साथ अलग कमरे में निवास करते थे इस बारे में यह भी मान्यता है की उस खानदान की एक स्त्री निः संतान थी उसी प्राथना से वासु की देव प्रसन्न हुए और जिससे उसे अपनी अधेड़ उम्र एक पांच सर लिया हुआ नागराज और एक बालक को जन्म दिया।
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा उसी नागराज की है लोक मान्यताओं की मानें तो यहां नागराज के दर्शन से निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन सबसे रहस्य की बात तो यह है कि रोजाना 30000 सांप यहां पर इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। जी हां 30,000 प्रतिमा सांपों की यहां मौजूद है उसके अलावा 30000 सांप लगभग 1 से 2 घंटे की पूजा के लिए यहां पर आते हैं और उस समय जब वह आते हैं तो कोई भी इस मंदिर के आसपास नहीं दिखता है। वैसे माना तो यह भी जाता है कि इस मंदिर में प्रवेश करते ही वह साप बिल्कुल साधारण हो जाते हैं और किसी को चोट भी नहीं पहुंचाते हैं।
