
Shri Krishna Geeta Updesh: ऐसे लोगों का मन कभी शांत नहीं होता, जानिए गीता के इस उपदेश में भगवान श्री कृष्ण क्या कहते हैं.......!

Shri Krishna Gita Sermon: The mind of such people never calms down, know what Lord Shri Krishna says in this sermon of Gita....!
भगवद गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है। महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन संकट में थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें इस उपदेश के माध्यम से जीवन दर्शन का मार्ग दिखाया था। गीता ग्रंथ का प्रत्येक श्लोक जीवन का मार्गदर्शन करता है। गीता की यह शिक्षा मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाती है। गीता के १८ अध्यायों और ७०० श्लोकों में जीवन की सभी समस्याओं का समाधान पाया जा सकता है। श्रीमद्भगवत गीता के इन उपदेशों पर चलकर जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। आइए जानें इन ४ श्लोकों के बारे में।
नास्ति बुद्धियुक्तस्य न चायुक्तस्य भवन। न चभव्यत्: शांतीर्शान्तस्य कुट: सुखम्।।
इस श्लोक का अर्थ है,कि योग विहीन व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। भावनाओं से रहित व्यक्ति को कभी शांति नहीं मिलती। ऐसा चंचल व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं रहता।
योगस्थः कुरु कर्माणि सहित त्यक्त्वा धनंजय। सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।
गीता के इस श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं,कि मन से अहंकार को हटाए बिना मार्ग में सफलता नहीं मिल सकती। उनकी इलाज का उपाय मन की शांति है। संतोषी योग से ही निष्काम कर्म हो सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को बिना ईर्ष्या के अपना कार्य करना चाहिए।
विहय कामण्य: कार्वाणपुमांसचराति निस्पृहा:। निर्ममो निरहंकार सा शांति मढ़ि गच्छति।।
भगवान कृष्ण कहते हैं,कि एक व्यक्ति जो सभी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को त्याग कर और बिना अहंकार के कर्म करता है,उसे अपने कार्य में सफलता और शांति मिलती है।
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तनस्थैव भजाम्यहम्। मम वात्रमानुवर्तन्ते मन्ना पार्थ सर्वेश:..
गीता के इस श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं, हे अर्जुन ! जैसे मनुष्य मुझे स्मरण करता है, वैसे ही मैं उसको प्रतिफल देता हूं। किसी भी प्रकार से मेरे मार्ग का अनुसरण करते हैं, तो मैं उनको फल देता हूँ।
कर्मण्येवधिकर द्वारा मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफल्हेतु भूर्मा ते संगोस्त्वकर्माणी॥
गीता के इस श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं कि यह अर्जुन कर्म करना तुम्हारा अधिकार है और इसके परिणामों की चिंता मत करो। कर्म से पीछे हटने के बारे में कभी न सोचें और न ही उसके परिणामों की चिंता करें।
