
इस मंदिर में माँ को आते है पसीने। आंखों देखा हाल ए सी बंद होते ही बहने लगता है पसीना। स्वयं मां काली के विराज ने का किया जाता है दावा।
मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित काली मां का यह मंदिर विज्ञान से भी परे है क्योंकि यहां पर बिना ए सी के काली मां का रह पाना मुश्किल है गर्मी शुरू होते ही हम आम इंसानों की तरह मां को भी गर्मी लगने शुरु हो जाती है जिस वजह से पूरे मंदिर परिसर में ठंडी हवा की व्यवस्था की गई है। काली माता का यह सैकड़ो साल पुराना मंदिर है। यह मंदिर ऐतिहासिक और चमत्कारी भी माना जाता है। यहां पर अक्सर ही आपकी आंखों के सामने कुछ ऐसा हो जाता है जिसे देखकर अपनी आंखों पर ही भरोसा नहीं होता।
ऐसा ही कुछ लोगों के साथ तब हुआ जब इस मंदिर में ए सी बंद होते ही काली माता को पसीना आने लगा। जबलपुर में लगभग 600 साल पहले काली की भव्य प्रतिमा को स्थापित किया गया था कहते हैं तभी से माता की प्रतिमा को जरा सी भी गर्मी सहन नहीं होती और ए सी बंद होते ही मूर्ति को पसीना आने लगता है इसके चलते ही पुजारी को हर समय यहां ठंडी हवा की व्यवस्था करनी पड़ती थी। समय के साथ ही मंदिर में ए सी लगवा दिए गए। ताकि माता को गर्मी ना लगे इस वजह से मंदिर में हमेशा ए सी चलता रहता है।
लेकिन अगर कभी किसी कारणों से ए सी नहीं चलता या फिर बिजली चली जाती है तो मूर्ति से निकलते पसीने को साफ-साफ देखा जा सकता है। काली माता के पसीने निकल ने के कारणों पर अनेक बार खोज भी की गई लेकिन विज्ञान के पास उसका कोई जवाब नहीं है।
चलिए अब आपको मंदिर में स्थापित प्रतिमा के बारे में बताते है माता काली के मूर्ति को लेकर यह मान्यता है कि रानी दुर्गावती के शासनकाल में मदन महल पहाड़ी पर बने एक मंदिर में प्रतिमा को स्थापित किया जाना था इसके चलते शारदा देवी की प्रतिमा के साथ काली माता की प्रतिमा को लेकर मंडला से जबलपुर के लिए एक काफिला रवाना हुआ जैसे ही वो काफिला जबलपुर के सदर इलाके में पंहुचा तो माता काली की प्रतिमा को लेकर चलने वाली बैलगाड़ी अचानक रुक गई। उसी रात काफिले में शामिल एक बच्ची को सपने में काली माता के दर्शन हुए जिन्होंने कहा कि उनकी इस प्रतिमा को यही स्थापित किया जाए इसके बाद काफिले में शामिल लोगों ने इसे देवी का हुक्म मानते हुए इलाके के तालाब के बीचोंबीच एक छोटी सी जगह पर मूर्ति स्थापित कर दी जहां बाद में मंदिर की स्थापना की गई। मंदिर के बारे में एक मान्यता यह भी है कि यहां काली माता स्वयं मौजूद है उनकी उपस्थिति का एहसास कई लोगों को होता रहता है इसी कारण से किसी भी भक्तों को मंदिर परिसर में रात के समय रुकने की अनुमति नहीं है।