
नर्मदा नदी में हो रहा है अद्भुत चमत्कार इस नदी से निकला हर कंकर बन जाता है शंकर का एक कंकर कंकर में बसे हैं भगवान शंकर। कहते हैं भगवान शंकर की महिमा अपरंपार है उसकी सबसे बड़ी उदाहरण है यह जगह ऐसे स्थान का कण-कण देता है भगवान भोलेनाथ के चमक का प्रमाण जी हां दोस्तों आज इस आर्टिकल में आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहा कण कण में भगवान शंकर बसे है।
शास्त्रों के अनुसार भारत में एक ऐसी नदी है जहा से निकला हर पत्थर शंकर का माना जाता है तो आइए जानते हैं इस पवित्र नदी के बारे में। दोस्तों हम जिस नदी की बात कर रहै है इसी नर्मदा नदी के नाम से जाना जाता है। ग्रंथों में इसे पवित्र नदी माना गया है। कहा जाता है कि गंगा में नहाने से जो फल मिलता है वही फल नर्मदा नदी में स्नान करने से भी प्राप्त होता है।
पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी से निकला हर एक पत्थर शिवजी का प्रतीक माना जाता है यही नहीं भारत के तकरीबन मंदिरों में इस नदी से निकले पत्थरों को शिवलिंग के रूप में स्थापित किया जाता है आपकी जानकारी के लिए बता दें नर्मदा से निकली शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है जो कि बहुत ही सिद्ध माने जाते हैं।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार नर्मदा नदी को शिव जी का वरदान प्राप्त है इसी कारण इससे प्राप्त होने वाले शिवलिंग को पवित्र माना जाता है और यही नहीं यहां से निर्मित शिवलिंग को सीधे स्थापित किया जा सकता है इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है। कहा जाता है कि जहां नर्मदेश्वर का वास होता है वहां काल और यम का भय नहीं होता है जो व्यक्ति समस्त सुखों का भोग करता हुआ शिवलोक तक जाता है।
आपको बता दें कि नर्मदा नदी का उल्लेख स्कन्द पुराण में किया गया है हैरान करने वाली बात यह है कि यहां से ओम लिखे हुए शिवलिंग भी निकलते हैं जिसे देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और महादेव का चमत्कार देख दंग रह जाते हैं। यहां की खास बात यह भी है कि नर्मदा नदी देश की एक ही ऐसी नदी है जो पूरब से पश्चिम की ओर उलटी दिशा में बहती है इस से निकले पत्थर को शिव का स्वरूप माना जाता है और हिंदू धर्म में शिवजी की पूजा का सर्वाधिक महत्व है।
आप सब ने भी सुना होगा कि भगवान शंकर अपने भक्तों पर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं ऐसे में हर कोई भगवान शंकर को खुश करने के लिए उनकी पूजा आराधना भी करते हैं शिव जी एक जिनकी पूजा उनकी प्रतिमा के साथ शिवलिंग के रूप में भी की जाती है। शिवलिंग को शिव जी का निराकार स्वरूप माना जाता है शिव पूजा में इसकी सर्वाधिक मान्यता है। शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही समाहित होते हैं यानी की शिवलिंग में भगवान शंकर और देवी पार्वती दोनों का वास है। शिवलिंग की उपासना करने से दोनों की ही उपासना संपूर्ण हो जाती है।
हिंदू धर्म में कई प्रकार की शिवलिंग की पूजा करने का प्रावधान है जिनमें स्वयंभू शिवलिंग नर्मदेश्वर जनेऊ धारी सोने और चांदी और पारद शिवलिंग शामिल है इनमे नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सबसे महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है।