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जानिए क्या है श्री कृष्ण की इस संतान का रहस्य ?

Janprahar Desk
4 July 2020 7:36 PM GMT
जानिए क्या है श्री कृष्ण की इस संतान का रहस्य ?
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भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव 2 और 3 सितंबर को धूमधाम से देश भर में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े कई रोचक किस्से और प्रसंग सामने आते रहे हैं उनका बाल्यकाल उनकी युवावस्था गोपियों संग रास कंस वध द्वारका कि राज्य के रूप में उनका जीवन उनका और उनकी आठ पटरानी उनसे जुड़ी कहानियों का सामने आना उनकी 16100 रानी से जुड़ी कथा और महाभारत का महायुद्ध।

आज हम आपको बताएंगे श्री कृष्ण की पुत्री के बारे में जिसके बारे में शायद ही आपने सुना होगा आपको नहीं पता होगा की श्री कृष्ण के एक पुत्री भी थीकौन थी वो  पुत्री क्या करती थी क्या नाम था और किस से उसका विवाह हुआ ?जिसके बारे में आज मैं आपको अपने इस आर्टिकल में बताउंगी तो चलिए शुरू करते हैं।

श्री कृष्ण की एक दो नहीं बल्कि 8 पटरानियां थीं और भगवान श्रीकृष्ण को प्रत्येक रानी से दस-दस पुत्र उत्पन्न हुए। वे सभी रूप, बल आदि गुणों में अपने पिता के समान थे। कृष्ण की पहली पत्नी रुक्मिणी के गर्भ से जो पुत्र हुए, उनके नाम इस प्रकार है प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारु, चारुगुप्त, भद्रचारु, चारुचंद्र, विचारु व चारु था। इन दस बलशाली और रूपवान पुत्रो के साथ ही  रुक्मिणी की एक पुत्री भी थी, जिसका नाम चारुमती था। चारुमति अपने पिता यानी श्री कृष्ण की बहुत प्रिय संतान थी। आगे चलकर श्री कृष्ण ने उसका विवाह कृतवर्मा के पुत्र से करवाया श्रीकृष्ण की पुत्री का उल्लेख बहुत ही कम जगह मिलता है हो सकता है आप भी उनकी पुत्री के  बारे में पहली बार सुन रहे हो।

रुक्मिणी के अलावा भगवान श्रीकृष्ण की जो 7 पटरानियां थी, उनका नाम सत्यभामा, जांबवती, सत्या, कांलिदी, लक्ष्मणा, मित्रविंदा व भद्रा था। श्रीकृष्ण ने इन सभी से 10-10 पुत्र थे। इन पटरानियों के अतिरिक्त भगवान श्रीकृष्ण की 16 हजार एक सौ और भी पत्नियां थीं। उनके भी दस-दस पुत्र हुए। इनमे से दीप्तिमान और ताम्रतप्त के नाम लोगो में जाने जाते है।

कथानुसार  प्राग्ज्योतिषपुर का राजा भौमासुर बहुत अत्याचारी था। उसने बलपूर्वक राजाओं से 16 हजार राजकुमारियां छीनकर अपने महल में रखी हुई थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने भौमासुर का वध कर उन सभी को बंधनमुक्त कर दिया। जब उन राजकुमारियों ने भगवान श्रीकृष्ण को देखा तो वह उन पर मोहित हो गई और विचार करने लगी कि ये श्रीकृष्ण ही मेरे पति हों।

भगवान श्रीकृष्ण ने उन सभी के मन को भावों को जानकर एक ही मुहूर्त में अलग-अलग भवनों में अलग-अलग रूप धारण कर एक साथ उन सभी से विवाह किया था।

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