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शांति और मनोकामना की पूर्ति के लिए जो कुछ भी पूजा की जा रही है, उससे आगे विधान की मदद से पूजा करनी चाहिए।
अगर आप रोजाना पूजा करते हैं और आपका मन परेशान है, तो इसका मतलब है कि आपकी पूजा में कहीं न कहीं कुछ गलत हो रहा है। शांति और मनोकामना की पूर्ति के लिए जो कुछ भी पूजा की जा रही है, उससे आगे विधान की मदद से पूजा करनी चाहिए।
- शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
- बिना स्नान किए तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए।
- 11 दिनों तक तुलसी के पत्तों को बासी नहीं माना जाता है। पानी का छिड़काव करके पुन: बनाया जा सकता है।
- रविवार को एकादशी, द्वादशी, संक्रांति और संध्या काल, तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
- सूर्य देव को शंख जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
- दूर्वा (एक प्रकार की घास) रविवार के दिन नहीं तोड़नी चाहिए।
- बुधवार और रविवार को पीपल के पेड़ में जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- गंगा जल को प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के पात्र में नहीं रखना चाहिए।
- शिवलिंग पर केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- किसी भी पूजा में इच्छा की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ाएं।
- कमल का फूल मां लक्ष्मी को विशेष रूप से चढ़ाया जाता है।
- घर के मंदिर में सुबह और शाम को दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
- सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, इन्हें पंचदेव कहा जाता है, इनकी पूजा अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए।
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Janprahar Desk
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