धर्म

इस धाम पर भगवान् स्वयं आकर करते है भोजन।

Janprahar Desk
29 Jun 2020 9:02 PM GMT
इस धाम पर भगवान् स्वयं आकर करते है भोजन।
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कहा जाता है कि भगवान विष्णु जब चार धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते है पश्चिम में गुजरात के द्वारका में वस्त्र पहनते हैं पूरी में भोजन करते हैं और दक्षिण रामेश्वरम नहीं विश्राम करते हैं। द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ।

पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है यहां भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते है। आज इस आर्टिकल की मदद से मैं आपको जगनाथ के कुछ ऐसे चमत्कारों के बारे में बताउंगी की आप भी सोचने पर मज़बूर  हो जायेंगे की क्या सच मच भगवान यह निवास करते है या नही ?

अब अगर उन चमत्कारों की बात करे तो उसमे जो  पहला चमत्कार है वो है की यहाँ हवा के विपरीत दिशा में झंडा लहराता है ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन यह निश्चित ही आश्चर्यजनक बात यह भी आश्चर्य है कि प्रतिदिन शाम को मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।

दूसरा चमत्कार गुम्बट की छाया नहीं बनती यह दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है यह मंदिर 400000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है मंदिर के पास खड़े रहकर इस गुम्बट को देख पाना असंभव है। छाया दिन के किसी भी समय नहीं रहती है। पुरी के मंदिर का यह रूप 7 वी सदी  में निर्मित किया गया है।

तीसरा चमत्कार सुदर्शन चक्र :- पूरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा। यह अष्टधातु से निर्मित और अति पावन और पवित्र माना जाता है।

चौथा चमत्कार हवा की दिशा :- सामान्यदिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत लेकिन पूरी में इसका उल्टा होता है अधिकतर समुद्री तटों पर आमतौर पर हवा समुद्र से जमीन की ओर आती है लेकिन यहां हवा जमीन से समुद्र की ओर जाती है।

पांचवा चमत्कार गुंबद  के ऊपर पक्षी नहीं उड़ते :- मंदिर के ऊपर गुंबद के आसपास अब तक कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया इसके ऊपर से विमान भी नहीं उड़ाया जा सकता। मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते कभी नजर नहीं आये जब की देखा गया है कि भारत के अधिकतर मंदिरों के ऊपर पक्षी बैठ जाते हैं या आस-पास उड़ते हुए नजर आते हैं लेकिन यहां ऐसा बिल्कुल नहीं है।

छटा चमत्कार दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर :- 500 रसोइयों और 300 सहयोगियों के  साथ भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद बनाते हैं लगभग 20 लाख भक्त यहां भोजन कर सकते हैं कहा जाता है कि मंदिर में प्रसाद कुछ हज़ार लोगों के लिए क्यों ना बनाएं गया हो लेकिन इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है।

सातवा चमत्कार समुद्र की ध्वनि :- मंदिर के सिंह  द्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर मंदिर के अंदर सागर द्वारा निर्मित किसी भी प्रकार की ध्वनि नहीं आ सकती वही मंदिर के पार एक कदम बाहर रखते ही आप इस ध्वनि को सुन सकते है। इसे शाम को स्पष्ट रूप अनुभव किया जा सकता है.

आठवा  चमत्कार रूप बदलती मूर्ति :- यहाँ श्री कृष्ण को जगन्नाथ कहते है जगन्नाथ के साथ यहाँ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विराजमान है। इनकी मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई है यहाँ प्रत्येक 12 साल में एक बार प्रतिमा का नया कलेवर होता है मुर्तिया नयी जरूर बनाई जाती है लेकिन आकर और रूप वो ही रहता है।

नौवा चमत्कार विश्व की सबसे  बड़ी रथ यात्रा :- आषाढ़ माह में भगवान रथ पर सवार होकर अपने मौसी रानी कुन्डीचा के घर जाते है। यह रथयात्रा 5 किलोमीटर में फैले पुरषोत्तम क्षेत्र में ही होती है रानी कुंदाची भगवान जगन्नाथ के परम भक्त राजा इन्द्रद्ययुम की पत्नी थी। इसीलिए रानी को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता है।  अपनी मौसी के घर भगवान 8 दिन रहते हैं और आषाढ़ शुक्ल दशमी को बाप्सी की  यात्रा होती है

दसवा चमत्कार हनुमान जी करते है समुद्र से भगवान् जगन्ननाथ की रक्षा  :- माना जाता है कि तीन बार  समुद्र में जगरनाथ जी के मंदिर को तोड़ दिया था कहते हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ ने वीर मारुती यानी कि हनुमानजी को यहां समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था। परंतु जब तक हनुमान जी जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा के दर्शनों का लोभ संवरण नहीं कर पाते थे वह प्रभु के दर्शन के लिए नगर में प्रवेश कर जाते थे ऐसे में समुद्र भी उनके पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था।

तो दोस्तों ये थे भगवान् जगन्नाथ जी से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य जो  किसी को हैरान कर देते है और सब लोग इन चमत्कारों के बारे में सुनकर सोच में पड़ जाते है।

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