क्या आप जानते है 14वे दलाई लामा कौन है जिनको मिला था नोबेल का शांति पुरस्कार !

दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है । जिसका मतलब होता है। ज्ञान का महासागर और दलाई लामा के वंशज करुणा ,अवलोकेतेश्वर के बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते हैं। दलाई लामा का नाम विश्व में एक तिब्बती धर्म गुरु के रूप में जाना जाता है। Dalai Lama तिब्बत के 14 वें धर्मगुरु हैं। इनका पूरा नाम ल्हामो घोड्ख है और दलाई लामा के नाम से विश्व में विख्यात हैं। दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु और वर्तमान में तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष हैं। दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई सन 1935 को तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में एक ओमान परिवार में हुआ था। दलाई लामा का बचपन उनके ग्रीष्मकालीन निवास पोताला पैलेस और नोरबुलिंगका के बीच बीता , जो अब यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल हैं ।
दलाई लामा शांति और प्रसन्नता के प्रचार प्रसार के लिए पूरी दुनिया के 65 से भी अधिक देशों की एक से अधिक यात्रा कर चुके हैं ।वर्ष 1959 से लेकर आज तक दलाई लामा को करीब 85 से भी ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं ।आशा की गई है कि दलाई लामा अपनी जिंदगी के 90 वर्ष देखने से पूर्व अगले दलाई लामा के रूप में अपने उत्तराधिकारी की खोज करेंगे। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो वह अंतिम दलाई लामा भी हो सकते हैं।
प्रत्येक तिब्बती के मन में दलाई लामा के प्रति एक सच्ची भावना, आस्था और गहरा प्रभाव है। दलाई लामा को प्रत्येक तिब्बती एक शांति का प्रतीक मानता है ।दलाई लामा ने हमेशा से ही शांति, खुशहाली एवं अहिंसा के लिए काम किया है।
दलाई लामा का जीवन बौद्ध मूल्यों और परंपराओं पर आधारित है। उन्होंने सदैव इन परंपराओं का प्रतिनिधित्व किया है ।लेकिन सभी धर्मों के प्रति उनकी समान संप्रभुता रही हैं। दलाई लामा ने जातीय विभाजन एवं धार्मिक विभाजन को दूर करने के लिए काम किया है और यही कारण है कि तिब्बती राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया है।
आज 14वे तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का 85 वा जन्म दिवस 6 जुलाई को मनाया गया। और उनके अनुयायियों ने इस दिन को लेकर काफी खुशी व्यक्त की ।अपने जन्मदिवस पर दलाई लामा ने ट्विटर पर अमेरिकन भौतिकी विज्ञानी डेविड के बारे में स्पेशल ऑनलाइन स्क्रीनिंग की योजना का उत्कर्ष ऐलान किया। प्रतिवर्ष दलाई लामा के जन्म दिवस पर समारोह किए जाते हैं। लेकिन इस बार कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण संक्रमण से बचने के लिए कोई समारोह नहीं किया गया। अनुयायियों ने घरों में रहकर अपने धर्मगुरु की लंबी उम्र की प्रार्थना की।
बता दें कि 3 माह से उन्होंने कोई भी ऑनलाइन और ऑफलाइन टीचिंग नहीं दी है। लेकिन अपने जन्म दिवस के अवसर पर उन्होंने अपने निवास स्थान से ही दुनिया भर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संदेश दिया है। तिब्बत में धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार के मुख्यालय में भी जन्मदिन साधारण तरीके से ही मनाया गया। जनवरी में कोरोना वायरस फैलने के बाद से दलाईलामा किसी बाहरी व्यक्ति से नहीं मिले। न ही विदेश दौरा किया। Dalai Lama ने एक वीडियो के माध्यम से विश्व को शांति का सन्देश दिया ट्विटर पर वीडियो शेयर कर जानकारी दी।