

तुलसी एक बहुत ही पवित्र पौधा माना जाता है तुलसी को हम सदैव अपनी माँ की तरह पूजते है। तुलसी हमारी सेहत के लिए हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा फायेमंद होती है।
लेकिन क्या आप जानते है तुलसी की भी सेवा करने के कुछ अलग अलग तरीके होते है। क्या आप तुलसी की उन सेवाओं को करने के तरीके के बार में जानते है ?अगर नहीं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए और उसके बाद आप तुलसी की उन सेवाओं के बारे में जरूर जान जायेंगे।
तो क्या आपको पता है तुलसी की दो सेवाएं होती है जिनके बारे में मैं आपको अपने इस आर्टिकल में बताउंगी।
तो आइये आज हम जानते है तुलसी की उन दोनों सेवाओं के बारे में
प्रथम सेवा
आपने अक्सर तुलसी को जल अबश्य ही देना चाहिए। तो क्या आप जानते है की यदि आप तुलसी की जड़ो में प्रतिदिन जल अर्पण करते है तो ये भी तुलसी सेवा है! लेकिन याद रहे तुलसी को एकादशी को जल नहीं देना चाहिए क्योंकि कहा जाता है की इस दिन तुलसी भगवान् के लिए व्रत रखती है।
द्वितीय सेवा
तुलसी की जो दूसरी सेवा है वो ये है की तुलसी की मंजरियों को तोड़कर तुलसी को पीड़ा मुक्त करते रहना, क्योंकि ऐसा कहा जाता है की ये मंजरियाँ तुलसी जी को बीमार करके सुखा देती हैं !
जब तक ये मंजरियाँ तुलसी जी के शीश पर रहती हैं, तब तक तुलसी माता घोर कष्ट पाती हैं !
इन दो सेवाओं को श्री ठाकुर जी की सेवा से कम नहीं माना गया है ! लेकिन इन सेवाओं को करते हुए कुछ सावधानियाँ रखने की आवश्यक्ता होती है !
जैसे तुलसी दल तोड़ने से पहले तुलसीजी की आज्ञा ले लेनी चाहिए ! सच्चा वैष्णव बिना आज्ञा लिए तुलसी दल को स्पर्श भी नहीं करता है !
रविवार और द्वादशी के दिन तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए तथा कभी भी नाखूनों से तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए ! न ही एकादशी को जल देना चाहिये क्यो की इस दिन तुलसी महारानी भी ठाकुर जी के लिये निर्जल व्रत रखती हैं।
साथ ही इसके पीछे ये भी कारण माना जाता है की तुलसीजी श्री ठाकुर जी की आज्ञा लेकर केवल इन्ही दो दिन विश्राम और निंद्रा लेती हैं। बाकी के दिनों में वो एक क्षण भर के लिए भी सोती नही हैं और ना ही विश्राम लेती हैं ! आठों पहर ठाकुर जी की ही सेवा में लगी रहती हैं।
तो आशा करती हु की अब आप समझ गए होंगे की तुलसी सेवा कैसे करनी चाहिए और उस सेवा को करते हुए किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए।