धर्म

इस जगह भगवान को भोग में चढ़ाई जाती है शराब।

Janprahar Desk
9 July 2020 8:01 AM GMT
इस जगह भगवान को भोग में चढ़ाई जाती है शराब।
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रहस्य्मयी है उज्जैन का काल भैरव मंदिर प्रसाद  में चढ़ी शराब देखते ही देखते हो जाती है गायब कई बार की गई रहस्य पता लगाने की कोशिश।

हर  मंदिर का अपना एक गूढ़ रहस्य होता है जिसके बारे में जानने को हर कोई इच्छुक होता है मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से करीब 8 किलोमीटर दूरी पर काल भैरव का बेहद अनोखा मंदिर स्थित है अनोखा इसलिए यहां पर भैरव बाबा को भक्तों द्वारा शराब का भोग लगाया जाता है। अब आश्चर्य की बात यह है कि जैसे ही भैरव देव की मूर्ति से शराब का कटोरा लगाते हैं वह पल भर में खाली हो जाता है। लेकिन ये शराब कहां जाती है इसके पीछे राज़ कोई नहीं जान पाया।

आपको बता दें कि मंदिर के बाहर भगवान कालभैरव को चढ़ाने के लिए देसी शराब की दुकान है कहते है इसी करिश्मे को देखने लाखों की तादाद में लोग यहां आते हैं अब आपको बताते हैं कि काल भैरव पर शराब चढ़ाने के पीछे भक्तों का क्या मानना है लोगों का मानना है कि काल भैरव को शराब अर्पित करने से हम हमारी समस्त बुराइयां भगवान को समर्पित कर रहे है  और अच्छाई के मार्ग पर चलने का संकल्प ले रहे हैं। मदिरा यानी सुरभि भक्ति का ही एक रूप है इस शक्ति का उपभोग  नहीं किया जाना चाहिए इसका उपभोग  करने वाला व्यक्ति पथ भ्रष्ट हो जाता है।

आपको बता दे इस मंदिर का वर्णन स्कन्द पुराण के अवन्ति खंड में मिलता है इस मंदिर में भगवान काल भैरव के वैष्णव स्वरूप का पूजन किया जाता है यहां से जुड़ी अनेक किवदंतिया भी प्रचलित है जिनके अनुसार उज्जैन के राजा भगवान महाकाल ने ही  काल भैरव को इस  स्थान पर शहर की रक्षा के लिए नियुक्त किया इसीलिए काल भैरव कोशहर का कोतवाल भी कहा जाता है।

 काल भैरव की प्रतिमा की बात की जाए तो भगवान कालभैरव सिंधिया पगड़ी पहने हुए दिखाई देते हैं ये पगड़ी भगवान ग्वालियर की सिंधिया परिवार की ओर से आती हैऔर यह प्रथा से सैकड़ो सालों से चली आ रही है तो वहीं करीब एक दशक यानी हजार साल पहले मंदिर की इमारत को मजबूती देने के लिए बाहर की ओर निर्माण कार्य करवाया गया था इस निर्माण के लिए मंदिर के चारों ओर करीब 12 12 फीट गहरी खुदाई की गई थी इस खुदाई का उद्देश्य मंदिर का जीर्णोद्धार करना था लेकिन यह खुदाई देखने के लिए काफी लोग यहां पहुंचते थे सभी  जानना चाहते थे कि जब काल भैरव शराब का सेवन करते हैं तो शराब कहां जाती है लेकिन किसी को इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया।

काल भैरव का मंदिर मुख्य शहर से कुछ दूरी पर बना है ये स्थान भैरवगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है काल भैरव का मंदिर एक ऊंचे टीले पर बना हुआ है और चारों ओर से दीवारों से घिरा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि काल भैरव मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर घुसते ही कुछ दूर चलकर बायीं ओर पाताल भैरवी का स्थान है करीब 10 से 12 सीढ़ियां नीचे उतरने के बाद तलघर आता है तल घर की दीवार पर पाताल भैरवी की प्रतिमा के थे ऐसी मान्यता है कि पुराने समय में जोगी जन इस तल घर में बैठकर ध्यान करते थे इसके अलावा मंदिर से कुछ दूरी पर विक्रांत भैरव का मंदिर स्थित है यह मंदिर तांत्रिकों के लिए बहुत ही विशेष है ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर की गई तंत्र क्रिया कभी असफल नहीं होती यह मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है विक्रांत भैरव के समीप ही श्मशान भी है श्मशान और नदी का किनारा होने से यहां दूर-दूर से तांत्रिक तंत्र सिद्धियां प्राप्त करने आते हैं।

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