
Aghori Facts: अघोरी लाशों के साथ शरीर संबंध क्यों रखते हैं? जानिए डरावनी हकीकत.......!

Aghori Facts: Why do Aghoris have sex with corpses? Know the scary reality.....
प्रयागराज में इस समय माघ मेला चल रहा है। अघोरी बाबा या नागा बाबा न होते हुए भी चर्चा उन्हीं के रंग में रंगी हुई है। अघोरी की प्रथा बहुत अलग होती है। इसलिए इसकी खूब चर्चा हो रही है। क्योंकि उनका जीवन, रहन-सहन और वे जो करते हैं वह सब रहस्यमय है। अघोरी बाबा का नाम लेते ही हमरे आँखों के सामने, बाबा के शरीर पर भस्म लगे लोगों का रूप सामने आ जाता है। अघोरी का अर्थ संस्कृत में प्रकाश की ओर होता है। यह शब्द शुद्ध और सभी बुराईयों से मुक्त माना जाता है। लेकिन ये लोग जंगलो में रहते हैं और बहुत अलग दिखते हैं। आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें।
ये अघोरी बाबा इंसानों का कच्चा मांस खाते हैं। कई साक्षात्कारों और वृत्तचित्रों में, अघोरी ने स्वयं स्वीकार किया है,कि वे कच्चे मानव मांस खाते हैं। आमतौर पर ये अघोरी कब्रिस्तान के पास रहते हैं। और अधजली लाशों का मांस खाते हैं। इसके पीछे उनका कहना है,कि ऐसा करने से उनकी तकनीकी शक्ति बढ़ती है। सामान्य लोगों को जो डरावना लगता है वह इन लोगों के लिए एक साधना का हिस्सा है।
शिव और शव के उपासक
अघोरी लोग खुद को पूरी तरह से लाश समझने की कोशिश करते हैं। अघोर शिव के पांच रूपों में से एक है। शिव की पूजा करने के लिए अघोरी एक शव (लाश) पर बैठकर साधना करते हैं। शव से शिव को प्राप्त करने का मार्ग अघोरी लोगों का प्रतीक है। ये अघोरी ३ तरह की साधना करते हैं। ये लोग शव को मांस और शराब का प्रसाद चढ़ाते हैं। शिव साधना में मृत शरीर पर एक पैर पर खड़े होकर साधना की जाती है। और समाधि में हवन किया जाता है।
लाश से शारीरिक संबंध
प्रचलित मान्यता है कि अघोरी साधु लाशों से शारीरिक संबंध बनाते हैं। अघोरी भी इस बात से सहमत हैं। इसके पीछे कारण यह है,कि शिव-शक्ति की पूजा का एक तरीका है। वे कहते हैं,कि यह पूजा का सबसे आसान तरीका है। ईश्वर के प्रति समर्पण भय में ही हो सकता है। उनका मानना है,कि यदि मृत शरीर से शारीरिक संबंध बनाने के दौरान भी मन ईश्वर में लीन हो तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है।
न केवल लाशों के साथ बल्कि जीवित महिलाओं के साथ भी
वे अन्य साधुओं की तरह ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं। वहीं दूसरी ओर शव पर भस्म फेंककर, मंत्रोच्चारण कर और ढोल बजाकर शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं। वे इस प्रक्रिया को अपने उपकरणों का हिस्सा मानते हैं। उनका मानना है,कि संभोग करने से अघोरी की शक्ति विशेष रूप से तब बढ़ती है जब महिला रजस्वला होती है। अगर आपने अघोरी लोगों की तस्वीरें देखी हैं, तो आपने देखा होगा कि उनके पास हमेशा एक खोपड़ी होती है। अघोरी लोग इस मानव खोपड़ी का उपयोग भोजन पात्र के रूप में करते हैं। इसलिए इन्हें कापालिक कहा जाता है। कहा जाता है,कि उन्हें यह प्रेरणा शिव से मिली थी।
कुत्ते क्यों पालते हैं?
अघोरियों को कुत्ते बहुत प्रिय होते हैं। अघोरी कुत्ते सभी जानवरों जैसे गाय, बकरी और इंसान से दूर रहते हैं। अपने आसपास कुत्ता पालते है। अघोरी लोगों का मानना है,कि हर व्यक्ति अघोरी के रूप में जन्म लेता है। जिस प्रकार एक नवजात शिशु गंदगी और भोजन के बीच अंतर नहीं जानता है, उसी तरह अघोरी भी एक ही नजर से गंदगी और अच्छे को देखता है।
उनके पास एड्स और कैंसर के इलाज हैं। कई अघोरी कहते हैं,कि उनके पास एड्स और कैंसर का इलाज है। लेकिन इसका कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं है। लेकिन फिर भी उनका कहना है,कि मृत शरीर से तेल निकालकर वे बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक कर सकते हैं।
