धर्म

राम के बाद आखिर किसने फिर से बसाई थी अयोध्या नगरी।

Janprahar Desk
19 July 2020 8:26 PM GMT
राम के बाद आखिर किसने फिर से बसाई थी अयोध्या नगरी।
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गंगा बड़ी गोदावरी तीर्थ बड़े प्रयाग सबसे बड़ी अयोध्या नगरी जहां राम लिए अवतार। तो इस आर्टिकल  में आपको राम नगरी अयोध्या से जुड़ी कुछ खास जानकारी देने वाले हैं जिसके बारे में शायद आपको पहले कभी पता न हो।

स्कन्द पुराण में आयोध्या को ब्रह्मा विष्णु तथा शंकर तीनों की पवित्र स्थल कहा गया है पुराणों के अनुसार अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी है यही नहीं बल्कि महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण में अयोध्या को  सरयू नदी के तट पर बसी पवित्र नदी बताया है इसीलिए अयोध्या देश के सभी पवित्र शहरों में से एक है और तो और अथर्ववेद में अयोध्या शहर को देवताओं का स्वर्ग माना जाता है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर अयोध्या नगरी बसाई किसने तो चलिए आपको एक कथा के माध्यम से बताते हैं कि कौन थे वह।

धार्मिक दृष्टि से एक कथा प्रचलित है की अयोध्या के महाराज विक्रमादित्य भ्रमण करते हुए संयोगवश सरयू नदी के किनारे पहुंचे थे तब महाराज विक्रमादित्य को अयोध्या की भूमि में कुछ चमत्कार दिखाई पड़ा और आसपास की योगी संतों ने उनको बताया कि यह श्री अवध भूमि है तभी महाराज ने यहां मंदिर सरोवर कूप आदि बनाये।

कहा जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के साथ अयोध्या के कीट पतंगे तक उनके दिव्य धाम में चले आए थे जिस वजह से अयोध्या नगरी त्रेता युग में ही उजड़ गई थी तब श्री राम पुत्र श्री राम पुत्र कुश ने ही श्री राम का नाम लेकर अयोध्या नगरी को बसाया था।  अयोध्या नगरी के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यहां एक सीता कुंड है जिसमे स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है और जो व्यक्ति

अयोध्या में स्नान जप तप हवन दान दर्शन ध्यान आदि करता है वह सब पुण्य का भागीदार होता है। भारत की सभी प्राचीन संस्कृति सप्तपुरियों में अयोध्या का प्रथम स्थान है और श्री रामचंद्र जी की अवतरित भूमि होने के बाद अयोध्या को साकेत नगरी भी कहा जाता है। साथ ही यहाँ पर रामनवमी का त्यौहार रामनवमी अर्थात राम जी का जन्मदिन बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है लेकिन जैसा की आप जानते है की इस साल वैश्विक महामारी कोरोना फैली हुई थी तो इस साल ये त्यौहार इतनी धूम धाम से नहीं मनाया जा सका था लेकिन फिर भी सभी भक्तो ने इस त्यौहार को अपनी पूरी लग्न और श्रद्धा के साथ मनाया था।

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