धर्म

आखिर ऐसा क्यों कहते है की इन चार महीनो में नहीं करना चाहिए कोई भी शुभ काम ?

Janprahar Desk
17 July 2020 10:17 AM GMT
आखिर ऐसा क्यों कहते है की इन चार महीनो में नहीं करना चाहिए कोई भी शुभ काम ?
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यह तो हम सब जानते हैं कि भगवान विष्णु साल की चार महीनों के लिए सो जाते हैं लेकिन उनके चार महीने सोने का रहस्य बहुत कम लोग ही जानते होंगे भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन 4 महीने के लिए सो जाते  हैं हम आपको बता दें कि शास्त्रों के अनुसार इस  समय के दौरान हमें कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए इन दिनों में शादी जनेऊ मुंडन मकान की नींव डालने का काम बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

पुराणों  बताया गया है कि बलि नाम के राजा ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था इसलिए भगवान इंद्र  घबराकर विष्णु जी के पास गए और उनसे मदद मांगी देवराज इंद्र के विनती करने पर विष्णु ने ब्राह्मण अवतार लिया और राजा बलि से दान मांगने पहुंच गए। उन्होंने बलि से तीन कदम भूमि दान में मांगी बलि उन्हें तीन कदम भूमि दान में देने के लिए हां कर दिया। लेकिन भगवान बमन ने विशाल रूप धारण करके दो कदम में धरती और आकाश नाप लिया और तीसरा कदम कहां रखे जब यह पूछा तो बलि ने कहा कि उनके सिर पर रख दे तो इस तरह विष्णु ने बलि का घमंड तोड़ा और तीनों लोको  को बलि ने मुक्त करवा दिया।

राजा बल्कि दान शीलता और  भक्ति भाव को देखकर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने वरदान मांगने के लिए कहा तब बलि ने वरदान मांगते हुए विष्णु जी से कहा आप मेरे साथ पाताल लोक चलें और हमेशा वही निवास करे तब भगवान विष्णु ने बलि को उसकी इच्छा के अनुसार वरदान दिया और उसके साथ पाताल चले गए यह देखकर सभी देवी देवता और देवी लक्ष्मी परेशान हो उठे। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु को पाताल लोक से वापस लाना चाहती थी इसीलिए उन्होंने एक चाल चली और देवी लक्ष्मी ने एक गरीब स्त्री का रूप धारण किया तथा राजा बलि के पास पहुंच गई राजा बलि के पास पहुंचने के बाद उन्होंने राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया और बदले में भगवान विष्णु को पाताल से मुक्त करने का वचन मांग लिया

भगवान विष्णु अपने भक्त को निराश नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने बलि को वरदान दिया वह हर साल आषाढ़ माह की शुक्ल एकादशी से कीर्ति शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में रहेंगे।

 यही वजह है कि इन चार महीनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहतइ हैं और उनको बापन  रूप में भगवान का अंश पाताल लोक में रहता है।

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