क्या प्रधानमंत्री के संदेश को देश के नागरिक गंभीरता से लेंगे? सिर्फ 12 मिनट का संदेश इशारा तो नहीं?

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम किये संबोधन में जनता से अपील करते हुए कोरोना अभी गया नहीं ये जोर देकर कहने के अनेक तर्क लगाए जा रहे है।
उनके इस केवल 12 मिनिट के देश के नाम किये संबोधन में कोरोना महामारी और उससे जुडी बातो के सिवा कुछ नहीं था,जबकी ईसके पूर्व प्रधानमंत्री के देश के नाम 6 संदेशो में जनता के लिये उन्हो ने सरकार कर रही उपायो और कार्य की जानकारी देकर सहयोग मांगा था।
कल के संदेश में उन्होंने जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं इस बात पर विशेष जोर दिया है। देश की जनता, व्यापार अब रोजी रोटी के लिये फिर से घर के बाहर निकल पडी है। लेकिन इस भागदौड में देश का नागरिक इस तरह से जी रहा जैसे कोरोना चला गया।
लोकडाऊन हट गया मतलब कोरोना भी हट गया इस मानसिकता को लेकर लोग घर के बाहर निकल पडे है। जबकि घर के बाहर उनका बरताव मास्क पहने रहना और दोन गज की दुरी रखना इन नियमो का उल्लंघन करते दिख रहा,और ये बात भविष्य में अधिक धोकादायक साबित हो सकती है इसका एहसास दिलाना प्रधानमंत्री के संदेश का उद्देश था ऐसा माना जा रहा है।