
भाजपा को हराने के लिए एक रथ पर फिर से सवार होंगे चाचा-भतीजे? संकेतों से मिल रहे विलय के इशारें

उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारों में नई अटकलें लगना शुरू हो गई है। यूपी की विपक्षी समाजवादी पार्टी ने अभी से ही जमीन पर उतरकर रैलियां करना शुरू कर दिया है। भाजपा को हराने के लिए सपा ने छोटे-छोटे दलों को साथ मिलाया है। इसी कड़ी में माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल फिर से भतीजे के साथ हाथ मिला सकते है।
गुरुवार को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लखनऊ स्थित शिवपाल यादव के आवास पर उनसे मुलाकात करने पहुंचे। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले यह मुलाकात अहम मानी जा रही है। इस मुलाकात के बाद से यही अटकलें लगाई जा रही है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में चाचा-भतीजा हाथ मिला सकते है।
इस वक़्त यूपी में समाजवादी पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव के जीत का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। ऐसे में सपा भी पिछड़े लोगों को साथ लेकर चुनाव में जीत के इरादे से उतारना चाहती है। ज्ञात हो कि 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में तकरार हुई थी। चुनाव के बाद चाचा शिवपाल यादव ने अपनी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी।
पार्टी से अलग होने के बाद दोनों ही नेताओं को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है, इसलिए अब दोनों नेता करीब आना चाहते है। पिछले कुछ वक़्त से शिवपाल यादव सपा के साथ विलय का संकेत भी दे रहे है, वहीं गुरुवार को हुए चाचा-भतीजे के मुलाकात से यह संकेत हकीकत में तब्दील होते दिख सकते है।
Samajwadi Party Chief Akhilesh Yadav meets his uncle and leader of Pragatisheel Samajwadi Party (Lohia),
— ANI UP (@ANINewsUP) December 16, 2021
Shivpal Singh Yadav at the latter's residence in Lucknow
(file photos) pic.twitter.com/PgfsPfJ1n4
हाल ही में अखिलेश यादव ने झांसी दौरे के दौरान भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था, '"हमारे चाचा के कराए काम का सीएम ने पीएम से उद्धाटन करा दिया।" यह तंज भले ही भाजपा के लिए था मगर इससे संकेत मिलता है कि अखिलेश यादव इस बार चुनाव में चाचा शिवपाल को पार्टी में शामिल करना चाहते है।
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