
अपने कैडरों के साथ कुछ नेताओं ने अपनी राजनीतिक पार्टी के झंडे लगाए, जबकि कांग्रेस समर्थकों ने अपने कानुवस (तौलिए) को पहनकर विजयवाड़ा बस स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया।
शहर में वाम दल के एक नेता ने कहा, उन्हें अपनी सभी कॉपोर्रेट नीतियों को वापस लेना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घुमा-फिरा कर बात कर रहे हैं। उनके इन तौर-तरीकों को नहीं माना जाएगा। अब काफी हो चुका है। उन्होंने पूंजीपतियों की भलाई को प्राथमिकता दी है।
उन्होंने आगे कहा, 62 लाख करोड़ रुपये के कृषि व्यवसाय को उस वक्त पूंजीपतियों को सौंपा गया, जब कोरोनोवायरस के कारण किसानों ने अपनी आजीविका खो दी है।
किसानों द्वारा अपनी उपज को कहीं भी बेचे जाने में उन्हें सक्षम बनाए जाने की कथित सुविधा पर टिप्पणी करते हुए प्रदर्शनकारी नेता ने कहा कि विभिन्न राज्यों में किसानों को समान कीमतें नहीं मिल रही हैं।
उन्होंने मकई का हवाला देते हुए कहा कि बिहार के मुकाबले आंध्र प्रदेश में इसकी कीमत काफी कम है।
इसी तरह से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के वरिष्ठ नेता रामकृष्ण ने भी कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग की।
--आईएएनएस
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