इस जगह पर सुहागरात, दुल्हन की माँ के सामने करनी पड़ती है........!

At this place, one has to perform a good night in front of the bride's mother....!
शादी की सभी रस्मों को काफी महत्व दिया जाता है और हर रस्म के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी होती है। शादी के समय से ही लड़के और लड़कियों के मन में कई सवाल होते हैं। दोनों को शादी के दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। शादी के बाद हर कोई अपनी पहली रात के बारे में सोचता है। दोनों ही इस रात के लिए खुद को तैयार करते हैं। जब दोनों ने शादी से पहले दूसरी जगहों पर संबंध स्थापित नहीं किया है, तो शादी के बाद की पहली रात का दोनों के बीच काफी इंतजार रहता है।
इस प्रकार शादी की तारीख नजदीक आती है और शादी के बाद पारंपरिक रीति-रिवाजों के बाद दूल्हा और दुल्हन दोनों सुहागरात्रि का इंतजार करते हैं। ऐसे समय में भारतीय संस्कृति के अनुसार दोनों प्राइवेसी चाहते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी रस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। यह रिवाज अजीब लगता है,क्योंकि यहां लड़की की मां उसके साथ सुहागरात पर जाती है।हनीमून का नाम सुनते ही शादीशुदा लोगों की यादें ताजा हो जाती हैं। जितना रूमानियत फिल्मों और टीवी सीरियल्स में दिखाई जाती है, उतनी असल जिंदगी में हनीमून कभी नहीं होता है।
ज्यादातर जोड़े पहली रात एक-दूसरे को जानने और ढेर सारी बातें करने में बिताते हैं। साथ ही कई देशों में हनीमून से जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं भी हैं। इसलिए अफ्रीका के कुछ हिस्सों में यह सबसे अनोखी परंपरा है, जहां सुहागरात पर लड़की की मां उसके साथ उसके कमरे में ही सोती है। यहां सालों से यह परंपरा निभाई जाती है। सुहागरात की प्रथा के अनुसार शादी के बाद जब पति-पत्नी पहली रात साथ बिताते हैं तो दुल्हन की मां भी उनके साथ होती है और वह उनके साथ एक ही कमरे में सोती है।
वहीं, दुल्हन की मां के न होने पर घर की एक बूढ़ी औरत उसके साथ सोती है। ऐसा कहा जाता है,कि बूढ़ी औरत उस रात नए जोड़े को एक खुशहाल शादी के बारे में बताती है और दुल्हन को समझाती है,कि वह उस रात क्या करना चाहिए। अगले दिन सुबह वर-वधू के कमरे में मौजूद मां या बुढ़िया परिवार के अन्य सदस्यों से इस बात की पुष्टि करती है,कि रात में सब कुछ ठीक-ठाक रहा। वास्तव में, इस बूढ़ी औरत की उपस्थिति को यहाँ शर्म के स्रोत के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि एक रस्म से जोड़ा जाता है, जो आज भी मनाया जाती है।