
Kamasutra: दुनिया को 'कामसूत्र' जैसा ग्रंथ देने वाले महर्षि वात्स्यायन की कहानी.........!

Kamasutra: दुनिया को 'कामसूत्र' जैसा ग्रंथ देने वाले महर्षि वात्स्यायन की कहानी.........!
जीवों में प्रजनन के लिए यौन संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं। हालाँकि, मनुष्य ही एकमात्र ऐसा जानवर है, जिसके लिए यौन संबंध प्रजनन तक ही सीमित नहीं हैं। व्यक्तिगत खुशी और संतुष्टि को भी ध्यान में रखा जाता है। आज भी सेक्स को बेहद निजी मामला माना जाता है। इसलिए इस पर खुले तौर पर टिप्पणी या चर्चा नहीं की जाती है। हालाँकि, गुप्त साम्राज्य के दौरान महर्षि मल्लनाग वात्स्यायन ने दुनिया को चौथी और छठी शताब्दी के बीच 'कामसूत्र' जैसी किताब दी थी। इस किताब के बाद दुनिया में हलचल मच गई। इस किताब के जरिए उन्होंने सेक्स के मुद्दे पर खुलकर चर्चा करने पर मजबूर कर दिया। चौथी और छठी शताब्दी के बीच वात्स्यायन द्वारा लिखित पुस्तक 'कामसूत्र' आज भी चर्चा का विषय है। वात्स्यायन ने यौन संबंधों और उसके महत्व पर चर्चा करने के लिए यह पुस्तक लिखी थी। दो हजार वर्ष बाद भी वात्स्यायन का ग्रंथ 'कामसूत्र' पढ़ा जाता है। पूरी दुनिया में इस पुस्तक की प्रतियाँ विभिन्न भाषाओं में अनुवाद के रूप में छापी और पढ़ी जा रही हैं।
कौन हैं महर्षि वात्स्यायन?
महर्षि वात्स्यायन ने गुप्त साम्राज्य के दौरान 'कामसूत्र' पुस्तक लिखी थी। वात्स्यायन बहुत समय तक वाराणसी अर्थात काशी में रहे। वात्स्यायन बहुत ही बुद्धिमान ऋषि माने जाते हैं, उन्हें वेदों का भी अच्छा ज्ञान था। इतिहासकारों का यह भी दावा है कि, वे दूसरी और तीसरी शताब्दी के दौरान पटना में रहे थे।
महर्षि वात्स्यायन ने 'कामसूत्र' ग्रंथ क्यों लिखा?
महर्षि वात्स्यायन ने सेक्स के मुद्दे पर खुलकर चर्चा करने के उद्देश्य से 'कामसूत्र' पुस्तक लिखी। उन्हें कामुकता के बारे में गहरा ज्ञान था। उन्होंने इस किताब में, सेक्स का असली महत्व क्या है? उससे प्राप्त आकर्षण, उत्तेजना और मनोवैज्ञानिक आनंद पर टिप्पणी की। संबंधों पर सेक्स का प्रभाव, पुरुषों और महिलाओं के बीच की भावनाओं और सेक्स से मिलने वाले अनुभव पर चर्चा की गई है। इसी के चलते उन्होंने इस किताब के जरिए यह समझाने की कोशिश की है कि, सेक्स के मुद्दे पर चर्चा करते समय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की राय भी ध्यान में रखनी जरूरी है।
'कामसूत्र' एक कला है
महर्षि वात्स्यायन का मानना है कि 'कामसूत्र' एक कला है। इतिहासकारों का कहना है कि उन्होंने मुद्रा नगर की वैश्यालयों में देखी जाने वाली दुल्हनों और वेश्याओं से बातचीत के बाद यह पुस्तक लिखी थी। कामसूत्र की मूल पुस्तक को आर्ट ऑफ लिविंग के रूप में देखा जाना चाहिए।
महर्षि वात्स्यायन जीवन भर अविवाहित क्यों रहे?
महर्षि वात्स्यायन ने संसार को 'कामसूत्र' जैसा ग्रंथ दिया है। हालांकि, वे सेक्स करने की विचार धाराओ में कभी भी शामिल नहीं हुए। वात्स्यायन आजीवन ब्रह्मचारी रहे। आश्चर्य होता है कि, आजीवन ब्रह्मचारी होते हुए भी उन्होंने ऐसी पुस्तक कैसे लिखी।