इतिहास

1933 की साइकिल का बिल आया सामने....... इससे ज्यादा खर्च आता है,एक पंक्चर निकालने में

Sudarshan Kendre
8 Jan 2023 9:00 AM GMT
1933 की साइकिल का बिल आया सामने....... इससे ज्यादा खर्च आता है,एक पंक्चर निकालने में
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1933 की साइकिल का बिल आया सामने....... इससे ज्यादा खर्च आता है,एक पंक्चर निकालने में

क्या आपने कभी सोचा है,कि ७० साल पहले बाजार में उपलब्ध उत्पादों की कीमत कितनी थी? जब हम दादा-दादी या बड़े-बुजुर्गों से बात करते हैं,तो पता चलता है,कि पहले १० रुपये में १० ग्राम सोना मिलता था। १ या २ पैसे में खाना मिल जाता था। समय के साथ महंगाई भी बढ़ती गई। आज किसी भी सामान के दाम बहुत बढ़ गए हैं। आज सोना ५ हजार रुपए प्रति ग्राम हो गया है। वहीं कई ऐसे सामान अब १००-२०० रुपये में मिल रहे हैं,जो तब चंद रुपये में मिल जाते थे।

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। इसमें एक शख्स ने सोशल मीडिया पर एक बिल शेयर किया जिसमें साइकिल की कीमत देखकर सभी की याद ताजा हो गई। कई लोग कमेंट कर बता रहे हैं,कि कितने रुपये को साइकिल खरीदी थी।

यह बिल ७ जनवरी,१९३४ का है। उस समय एक साइकिल की कीमत मात्र १८ रुपये हुआ करती थी, जब कि आज उसी १८ रुपये से एक भी पंक्चर नहीं निकालते है। बिल सामने आने के बाद लोगों को पुराने दिन याद आ गए हैं। इस बिल को संजय खरे नाम के फेसबुक यूजर ने शेयर किया है। संजय ने लिखा कि, 'कभी साइकिल मेरे दादाजी का सपना था। समय का पहिया साइकिल के पहिए की तरह कितना घूम गया है ! उस समय साइकिल की कीमत वाकई कम हुआ करती थी। लेकिन आमदनी भी कम हो जाती थी। प्रवीण नाम के यूजर ने कमेंट में लिखा कि,ये बहुत पुरानी याद है। जून १९३४ में मेरे स्व. पिता का जन्म हुआ। १९७७ में, मेरे पिता ने मेरे लिए एक हिंद-सुपर्ब साइकिल खरीदी थी। इसे २४० रुपये में लिया गया था। यह एक बहुत ही मजबूत दौर था।

इस पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। एक यूजर ने इस पर कमेंट करते हुए लिखा है- कभी इतनी सस्ती साइकिल हुआ करती थी। एक अन्य यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा- वाकई, अब देश कितना बदल गया है। आजकल तो १८ रुपये में सीट भी नहीं मिलती, साइकिल तो बहुत दूर की बात है।

वहीं, गिरीश नाम के एक यूजर ने कमेंट किया, बहुत बढ़िया! देखकर मन प्रसन्न हुआ। वह समय क्या था? इसके अलावा अजय नाम के एक यूजर ने दावा किया,कि आज के हिसाब से साइकिल बहुत महंगी थी। क्योंक, तब एक सरकारी मैकेनिक का वेतन १२ रुपये, एक मुख्य लिपिक का वेतन २० रुपये और एक कलेक्टर का वेतन ५० रुपये था।

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