
Ramsetu: खुल गया भगवान रामचंद्र के रामसेतु का रहस्य...हैरान कर देने वाला खुलासा सामने आया!

Ramsetu: The secret of Lord Ramachandra's Ram Setu has been revealed... Shocking revelation came out!
Ramsetu: प्रभु श्री रामचंद्र ने १४ वर्ष वनवास में बिताए। वनवास के दौरान, लंका के रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया। माता सीता को सुरक्षित बचाने के लिए, भगवान राम ने भारत को श्रीलंका से जोड़ने वाले राम सेतु का निर्माण किया, यह बात घर-घर में मशहूर है। पौराणिक ग्रंथों के आधार पर राम सेतु के बारे में कई बातें कही गई हैं। यदि आप रामेश्वर जाते हैं, तो आप राम सेतु के स्थल को देख सकते हैं। यहां के नाविक राम सेतु के खंडहर दिखाने के लिए धनुषकोडी से पर्यटकों को ले जाते हैं। इस स्थान पर समुद्र की गहराई बहुत कम है तथा कुछ स्थानों पर तल भी दिखाई देता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री राम की सेना को लंका तक पहुँचने के लिए समुद्र के ऊपर १०० योजन लंबा और १० योजन चौड़ा (१ योजन ८ किमी) समुद्र के ऊपर एक पुल का निर्माण करना पड़ा था। नल और नील सहित हजारों वानरों की सेना ने पहले दिन में १४ योजन, दूसरे दिन में २० योजन, तीसरे दिन में २१ योजन, चौथे दिन में २२ योजन और पांचवें दिन में २३ योजन पर पत्थर फेंके। इस प्रकार १०० योजन का कार्य ५ दिन में पूर्ण हो गया। आज की गणना के अनुसार राम सेतु की लंबाई १००० किमी से भी अधिक थी।
नासा द्वारा राम सेतु की कुछ तस्वीरें जारी की गईं है। नासा समेत तमाम संस्थाओं ने इस पर अलग-अलग शोध किए हैं। कुछ वैज्ञानिकों के,अनुसार भारत और श्रीलंका के बीच बना राम सेतु हजारों साल पुराना है। एक तर्क यह भी है,कि वर्तमान में भारत और श्रीलंका के बीच पुल का आकार केवल ४८ किमी है। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक सैटेलाइट से ली गई यह तस्वीर असली है। भारत और श्रीलंका के बीच यह छिपा हुआ स्थान एक पुल का अवशेष है। समुद्र पर दिखाई देने वाली उस रेखा के नीचे पत्थर हैं। वे पत्थर ७ हजार साल पुराने हैं। तो इस पर जमा हुई मिट्टी ४ हजार साल पुरानी है। शोधकर्ताओं ने यह भी दावा किया है,कि यह अंडरवाटर ब्रिज मानव निर्मित है।
शोध के अनुसार राम सेतु ७००० साल से भी ज्यादा पुराना है। धनुषकोडी और मन्नार द्वीप के पास समुद्र तट की कार्बन डेटिंग रामायण में दृश्य की तारीख से मेल खाती है। १५वीं शताब्दी तक इस पुल तक पैदल ही पहुंचा जा सकता था। शोध के अनुसार राम सेतु १४८० तक पूरी तरह से समुद्र में तैर रहा था। वैज्ञानिकों का मानना है,कि चक्रवात के कारण यह समुद्र में डूब गया था। राम सेतु को एडम्स ब्रिज, नाला सेतु और सेतु बांदा के नाम से भी जाना जाता है। राम सेतु को रामायण के ऐतिहासिक प्रमाण के तौर पर देखा जाता है। महर्षि वाल्मीकि की रामायण में पहली बार इस पुल का जिक्र है।