इतिहास

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023: शिवाजी महाराज के नाम से डरते थे मुगल, ऐसी थी शिवाजी महाराज की कहानी.......

Sudarshan Kendre
19 Feb 2023 3:23 AM GMT
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023: शिवाजी महाराज के नाम से डरते थे मुगल, ऐसी थी शिवाजी महाराज की कहानी.......
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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023: शिवाजी महाराज के नाम से डरते थे मुगल, ऐसी थी शिवाजी महाराज की कहानी....... 

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023: आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। शिवाजी महाराज की गिनती उन चुनिंदा महान योद्धाओं में होती है, जिन्होंने अकेले के दम पर मुगलों को परास्त किया था। आज उनके जन्म दिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।

यूं तो भारतीय भूमि के इतिहास में अनेक वीर सपूतों ने जन्म लिया और देश की आजादी के लिए अनेक बलिदान दिए। परन्तु इसमें मुगलों के विरुद्ध युद्ध का बिगुल फूंकने वाले शिवाजी की गाथा का अपना विशेष स्थान है। शिवाजी महाराज का जन्म १९ फरवरी १६३० को शिवनेरी किले पर हुआ था। हालाँकि, इतिहासकार उनके जन्म के बारे में हमेशा असहमत रहे हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना ​​है, कि उनका जन्म १६३० में हुआ था, जबकि अन्य का मानना ​​है, कि उनका जन्म १६२७ में हुआ था। शिवाजी महाराज के पिता शाहजी भोसले अहमदनगर सल्तनत में सेना में सेनापति थे।

उनकी माता जीजाबाई स्वयं एक योद्धा थीं, लेकिन धार्मिक ग्रंथों में भी उनकी काफी रुचि थी। अपनी धार्मिक रुचि के कारण उन्होंने कम उम्र में ही शिवाजी महाराज को महाभारत से लेकर रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों की शिक्षा दी। शिवाजी महाराज बचपन से ही धार्मिक ग्रंथों को सुनते हुए बड़े हुए, जिसने उनमें शासक वर्ग की क्रूर नीतियों के खिलाफ लड़ने की ज्वाला प्रज्वलित की।

शिवाजी महाराज भारत के सबसे महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध की एक नई शैली विकसित की थी। शिवाजी महाराज ने अपने शाही कर्तव्यों में फारसी के बजाय मराठी और संस्कृत को प्राथमिकता दी। छत्रपति शिवराय की मुगलों से पहली मुठभेड़ १६५६-५७ में हुई थी। शिवजी महाराज ने बहुत सी मुगल संपत्ति और सैकड़ों घोड़ों पर कब्जा कर लिया था। ऐसा कहा जाता है, कि छत्रपति शिवराय की मृत्यु १६८० में उनकी राजधानी राजगढ़ के पहाड़ी किले में किसी बीमारी के कारण हुई थी। इसके बाद उनके पुत्र संभाजी ने राज्य की बागडोर संभाली।

शिवाजी महाराज ने एक ओर अपनी युद्ध नीति से मुगलों को संकट में डाला था, तो दूसरी ओर उन्होंने अपनी प्रजा का भी पूरा ध्यान रखा था। शिवाजी महाराज एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे, उनके दरबार और सेना में हर जाति और धर्म के लोगों को उनकी ताकत के अनुसार पद और सम्मान मिलता था। उन्होंने सेना और प्रशासनिक सेवाओं में कई मुसलमानों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दीं थी। इब्राहिम खान और दौलत खान ने अपनी नौसेना में महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा कर लिया था, जबकि उन्हेंने सिद्दी इब्राहिम को तोपखाने का प्रमुख नियुक्त किया गया था। आज इस महान राजा की जयंती है। शिवजी महाराज का ये जन्म दिन पुरे भारत वर्ष में बड़े धाम-धूम से मानाया जाता है।

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