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What is Share Market in Hindi: शेयर मार्केट भारत में कैसे काम करता है? यहां विस्तार से समझिए

Ankit Singh
30 Jan 2022 7:06 AM GMT
What is Share Market in Hindi: शेयर मार्केट भारत में कैसे काम करता है? यहां विस्तार से समझिए
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Share Market in Hindi: शेयर बाजार को लेकर अक्सर आम लोगों के मन में भ्रम की स्थिती रहती है। Share Market के सही नॉलेज से आपको बादशाह बना सकता है। इसलिए इस लेख में जनेंगे कि Share Market kya Hai? (What is Share Market in Hindi) और यह भारत में कैसे काम करता है?

Share Market in Hindi: ज्यादातर लोग यह कहते है कि शेयर मार्केट बरमूडा ट्रायंगल की तरह है जिसमें वह उलझ कर रह जाते है, जबकि ऐसा नहीं है Share Market को अच्छे से समझ लिया जाएं तो आप इस क्षेत्र के बादशाह बन सकते है। शेयर मार्केट को समझने के लिए आपको राकेट साइंस जैसा दिमाग नहीं लगाना है, आप रिस्क और रिटर्न की क्षमता का आंकलन करके Share Market को अच्छी तरह समझ सकते है। शेयर बाजार ठीक उसी बाजार की तरह है जहां आप सब्जियां खरीदने जाते है, बस Share Market में सब्जियों की जगह शेयरों की खरीद और बिक्री होती है।

अकसर लोगों के मन में यह भी सवाल होता है कि क्या शेयर मार्केट स्टॉक एक्सचेंज से अलग हैं? और क्या यह रेगुलेट होता है? तो चलिए इए लेख में वियार से समझते है कि Share Market kya Hai? (What is Share Market in Hindi) और यह कैसे काम करता है? (How does Share Market work?) तो चलिए जानते है Share Market in Hindi

Share Market kya Hai? | What is Share Market in Hindi

शेयर बाजार (Share Market) या इक्विटी बाजार (Equity Market) एक ऐसी जगह है जहां फाइनेंसियल सिक्योरिटीज (इक्विटी और इक्विटी से संबंधित) की नियमित खरीद (Buying) और बिक्री (Selling) होती है। इन एक्टिविटीज को स्टॉक एक्सचेंजों (Stock Exchange) द्वारा सुगम बनाया जाता है जो SEBI के निर्धारित गाइडलाइन के तहत काम करते हैं। शेयर मार्केट को स्टॉक मार्केट भी कहा जाता है।

एक Share Market कई प्रकार के लिस्टेड कंपनियों के शेयरों के ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है जहां बाजार की ताकतें शेयर की कीमतें निर्धारित करती हैं। एक शेयर मार्केट को सामान्य बाज़ार के रूप में माना जा सकता है जहां खरीदार और विक्रेता बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, डेरिवेटिव, कमोडिटीज जैसी सिक्योरिटीज का व्यापार करते हैं।

प्रत्येक देश का अपना बाज़ार हो सकता है। भारत में सात स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) हैं, जिनमें दो प्रमुख हैं, जो National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) हैं। तो शेयर मार्केट को समझने के लिए यह समझना भी जरूरी है कि Stock Exchange Kya Hai? तो चलिए समझते है।

स्टॉक एक्सचेंज क्या है? | What is Stock Exchange in Hindi

स्टॉक एक्सचेंज ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जहां वित्तीय साधनों (Financial Instrument) का वास्तविक लेनदेन होता है। सरल शब्दों में कहे तो Exchange स्टॉक और अन्य इक्विटी प्रोडक्ट्स के ट्रेडिंग की देखरेख और सुविधा प्रदान करता है। Stock Exchange रीयल-टाइम ट्रेडिंग जानकारी प्रदान करता है जो Stock Broker और ट्रेडर्स को वैल्यू खोजने में मदद करता है।

प्रत्येक एक्सचेंज में एक Benchmark Index होता है जो लिस्टेड कंपनियों के शेयरों के परफॉर्मेंस का आकलन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे इन्वेस्टर्स को शेयर कंपेरिजन करने और मार्केट मूड को समझने में मदद मिलती है। इस प्रकार Stock Exchange के Index इकॉनमी के फाइनेंसियल स्टेटस के मिरर के रूप में काम करते हैं।

बता दें कि भारत में कुल 7 Stock Exchange है, लेकिन दो प्रमुख (NSE, BSE) है जो व्यापार के थोक को संभालते हैं, वे नीचे दिए गए हैं-

भारत के मुख्य स्टॉक एक्सचेंज को समझने से पहले आप यह जान लें कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस एक्सचेंज को ट्रेडिंग के लिए अपने प्लेटफार्म के रूप में चुनते हैं। सभी एक्सचेंज स्टॉक के साथ सौदा करते हैं। एक इन्वेस्टर एसेट के लिए किसी भी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ट्रेडिंग कर सकता है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE): NSE 1992 में स्थापित हुई थी, एनएसई में कुल 7200+ कंपनियां लिस्टेड हैं। हालांकि BSE पुराना है लेकिन NSE ट्रेडिंग में अधिक सक्रिय रूप से शामिल है और इसका टर्नओवर रेट अधिक है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE): दलाल स्ट्रीट के रूप में प्रसिद्ध यह विश्व स्तर पर Market Cap के मामले में दसवां सबसे बड़ा Stock Exchange है। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी और यह भारत का सबसे पुराना एक्सचेंज है।

शेयर बाजार के प्रकार | Types of the Share Market in Hindi

प्राइमरी मार्केट (Primary Market)

प्राइमरी मार्केट बड़े पैमाने पर नए स्टॉक्स और सिक्योरिटीज से डील करते हैं। कई कंपनियां, सरकारें और अन्य फाइनेंसियल संस्थान प्राइमरी मार्केट सिक्योरिटीज जैसे बिल, राइट्स इश्यू, प्राइवेट प्लेसमेंट बॉन्ड, FPO और सबसे लोकप्रिय IPO के माध्यम से धन जुटाना चाहते हैं। प्रमुख शेयर, फंड और बांड पहले Primary Market में जारी किए जाते हैं।

सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market)

Secondary Market को मुख्य रूप से 'Share Market' के रूप में जाना जाता है, जहां स्टॉक या शेयरों का वास्तविक व्यापार होता है। एक बार जब कंपनी एक्सचेंजों पर लिस्टेड हो जाती है तो उसके शेयरों को जनता द्वारा स्वतंत्र रूप से कारोबार करने की अनुमति दी जाती है। यहां निवेशक और जारीकर्ता मौजूदा कीमत के आधार पर आसानी से शेयर खरीद और बेच सकते हैं।

भारत में शेयर बाजार का विनियमन | Regulation of Share Market in India

भारत में Stock Exchange सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा नियंत्रित होते हैं। SEBI शेयर Market के व्यवस्थित संचालन के लिए जिम्मेदार है। SEBI ही Share Market के लिए गाइडलाइन जारी करता है जिसका पालन सभी स्टॉक जारीकर्ताओं और अन्य बाजार सहभागियों को करना पड़ता है। मार्केट में निष्पक्ष ढंग से ट्रेडिंग हो सके इसके लिए सेबी Superintendent Body के रूप में कार्य करता है।

शेयर बाजार के कार्य प्रणाली को समझें | Understanding the Workflow of the Stock Market

कंपनियों को Secondary Market में लिस्टेड किया जाता है, जिसके बाद ट्रेडिंग शुरू किया जाता है। इस ट्रेडिंग की सुविधा उस स्टॉक एक्सचेंज द्वारा दी जाती है जिस पर कंपनी लिस्टेड है।

Stock Exchange का चुनाव कंपनी पर निर्भर करता है। कंपनी उस एक्सचेंज का फैसला कर सकती है जिस पर वह अपने शेयरों को लिस्टेड करना चाहती है। एक कंपनी अपने शेयरों को कई स्टॉक एक्सचेंजों या दोनों प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों, यानी NSE और BSE में लिस्टेड करवा सकती है। उदाहरण के लिए, रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर NSE और BSE दोनों पर लिस्टेड हैं।

यहां ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप शेयर खरीदते या बेचते हैं तो यह कंपनी का नहीं होता है। इसके बजाय आप उन शेयरों को किसी ऐसे व्यक्ति से खरीदते या बेचते हैं जो सहमत मूल्य पर शेयरों को खरीदने/बेचने के लिए सहमत होता है।

बाजारों में निवेशक बड़ी संख्या में हैं और एक्सचेंज के लिए इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स के साथ सीधे डील करना असंभव है। ऐसे में स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) का बड़ा महत्व होता है। स्टॉकब्रोकर और ब्रोकरेज फर्म रजिस्टर्ड संस्थाएं हैं जो खुदरा निवेशकों और एक्सचेंज के बीच मीडिएटर के रूप में काम करती हैं। Stock Brokers निवेशक के खरीद या बिक्री के आदेशों को प्रोसेस करते हैं और ट्रांजेक्शन का कुछ परसेंटेज फीस के रूप में लेते हैं। एक बार जब आप ब्रोकर के पास अपना ऑर्डर दे देते हैं तो इसे एक्सचेंज को भेज दिया जाता है। इसके बाद एक्सचेंज द्वारा शेयरों का ओनरशिप ट्रांसफर किया जाता है।

भारत में T+2 दिनों की सेटलमेंट प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जिसका अर्थ है कि आपके स्टॉक आपके डीमैट खाते में दो दिन बाद दिखना शुरू होते है।

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