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Mutual Fund Redemption: म्यूचुअल फंड रिडीम करने का बना रहे है प्लान? तो पहले खुद से पूछ लें ये 4 सवाल

Ankit Singh
7 Feb 2022 5:06 AM GMT
Mutual Fund Redemption: म्यूचुअल फंड रिडीम करने का बना रहे है प्लान? तो पहले खुद से पूछ लें ये 4 सवाल
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Mutual Fund Redemption: अपनी म्यूचुअल फंड योजना को भुनाने की जल्दी में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और आयकर विभाग द्वारा बनाए गए कुछ नियमों पर विचार करना न भूलें जो आपके निवेश पर प्रभाव डाल सकते हैं।

Mutual Fund Redemption: बहुत समय पहले की बात नहीं है जब Mutual Fund को भुनाना एक लंबी और व्यस्त प्रक्रिया थी। आपको इसके लिए एक ब्रांच में जाना पड़ता था और फॉर्म भरकर आवेदन करना पड़ता था। हालांकि बीते कई वर्षों से यह प्रक्रिया बहुत सरल हो गई है। अब आपको किसी शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अब घर बैठे ही एक क्लिक से फंड को भुनाया जा सकता है। लेकिन अपने म्यूचुअल फंड योजना को भुनाने की जल्दी में SEBI और आयकर विभाग द्वारा बनाए गए कुछ नियमों पर विचार करना न भूलें जो आपके निवेश पर प्रभाव डाल सकते हैं।

इन नियमों के बारे में पहले से जानकर आप न केवल अपने आवेदन को सही समय पर कर सकते हैं बल्कि अपने निवेश का अधिकतम लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। किसी को म्यूच्यूअल फंड स्कीम को रिडीम करने का विचार तभी करना चाहिए जब उद्देश्य पूरा हो जाए।

अपने Mutual Fund इन्वेस्टमेंट को भुनाने से पहले विचार करने के लिए यहां 4 महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए हैं ताकि आप अपने पैसे का अधिकतम लाभ उठा सकें।

1. आज कौन सा दिन है?

Equity Mutual Fund के मामले में निपटान चक्र (Settlement Cycle) T+3 दिन है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप फंड को भुनाने का आवेदन सप्ताह के अंत में यानी गुरुवार या शुक्रवार को करते है तो आपके खाते में पैसा जमा होने में दो दिन अतिरिक्त लग सकते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि फंड के राशि को आपके बैंक में ऐड करने के लिए 3 बिजनेस डे (T+3) लगता है। ध्यान दें कि इसमें सप्ताहित छुट्टी और सार्वजनिक अवकाश शामिल नहीं हैं।

उदाहरण के लिए अगर आप गुरुवार को एक इक्विटी फंड योजना बेचते हैं तो म्यूचुअल फंड कंपनियां आपके पैसे को मंगलवार तक अधिकतम जमा कर देंगी क्योंकि निपटान के दिनों के बीच साप्ताहिक बंदी होती हैम। वहीं, अगर आप सोमवार को वही लेनदेन करते हैं तो धन गुरुवार को 3 दिनों के भीतर जमा किया जाएगा। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि सप्ताह की शुरुआत में अपना आवेदन जमा करें ताकि आपका पैसा बिना किसी देरी के जमा हो जाए। याद रखें, यदि निपटान के दिनों के बीच कोई अवकाश है, तो निपटान तिथि अगले वर्किंग डे में ट्रांसफर हो जाएगी।

इसी तरह डेट फंडों के मामले में निपटान चक्र T+1 दिनों का होता है। उदाहरण के लिए अगर आप शुक्रवार को डेट फंड स्कीम बेचते हैं तो इस ट्रांजैक्शन की सेटलमेंट डेट सोमवार होगी। यदि आप सोमवार को रिडीम करते हैं, तो मंगलवार तक आपके खाते में पैसा क्रेडिट हो जाएगा। इसलिए हमेशा रिडेम्पशन बटन पर क्लिक करने से पहले खुद से पूछें कि आज कौन सा दिन है।

2. क्या समय हुआ है?

क्या आप इक्विटी म्यूचुअल फंड के लिए जानते हैं कि उसी दिन का नेट एसेट वैल्यू (NAV) प्राप्त करने के लिए कटऑफ समय क्या है? यह 3 बजे हैं। इसका मतलब है कि अगर आप दोपहर 3 बजे से पहले ऑर्डर देते हैं, तो यह उसी दिन के NAV पर आपके ट्रांजेक्शन को प्रोसेस करेगा। अगर आप देरी करते हैं और इसे दोपहर 3 बजे के बाद रखते हैं तो आपका लेनदेन अगले दिन के NAV पर प्रोसेस किया जाएगा। इसी तरह लिक्विड और ओवरनाइट फंड के लिए कट ऑफ टाइम दोपहर 1.30 बजे रखा गया है। अगर आप इसे दोपहर 1.30 बजे के बाद बेचते हैं तो अगले दिन की NAV लागू होगी। इसलिए अगर आप यह सुनिश्चित करने की योजना बना रहे हैं कि वांछित एनएवी प्राप्त करने के लिए कट ऑफ समय पर विचार करने के बाद आप इकाइयों को बेच दें।

3. मैनें कितने समय तक निवेश किया?

क्या आप जानते हैं कि होल्डिंग पीरियड या जिस पीरियड के दौरान आपने इन्वेस्ट किया था, वह म्यूचुअल फंड पर लागू टैक्स की दर भी तय करती है? इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि यूनिट्स को भुनाने से पहले आपने यूनिट्स को लॉन्ग टर्म या शार्ट टर्म पीरियड के लिए रखा है या नहीं।

सबसे पहले जानते है कि लॉन्ग टर्म क्या है? अगर आप यूनिट खरीदने की तारीख से एक वर्ष के बाद इक्विटी फंड के यूनिट्स को भुनाते हैं तो निवेश को लॉन्ग टर्म के रूप में परिभाषित किया जाता है। एक वर्ष से अधिक समय तक रखी गए यूनिट्स से होने वाले पूंजीगत लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहा जाता है। इसी तरह एक साल के भीतर इक्विटी फंड के रिडेम्पशन से होने वाले कैपिटल गेन को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के रूप में जाना जाता है। डेट फंड के मामले में यदि आप 36 महीने से पहले यूनिट बेचते हैं तो इसे शॉर्ट टर्म माना जाता है और यदि आप उन्हें 36 महीने से अधिक समय तक रखते हैं तो इसे लॉन्ग टर्म माना जाता है।

इक्विटी फंड पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इससे पहले, इक्विटी म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म टैक्स टैक्स-फ्री था, लेकिन बजट 2018 से इक्विटी फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन केवल 1 लाख रुपये तक टैक्स-फ्री है। 1 लाख रुपये से अधिक की राशि के लिए बिना इंडेक्सेशन के लाभ के टैक्स की दर 10 प्रतिशत है। इसलिए यूनिट्स को भुनाने से पहले यह जरूर देखें कि अपने कितने समय तक निवेश किया है।

4. क्या कोई Exit Load है?

अगर आप 1 साल से कम समय में इक्विटी फंड से बाहर निकलते हैं तो इस पर 1 फीसदी का एग्जिट चार्ज लगता है। डेट फंडों के मामले में अल्ट्रा-शॉर्ट पीरियड और लिक्विड फंड जैसे शॉर्ट-टर्म फंड में एक्जिट लोड शून्य है, लेकिन कम लिक्विडिटी वाले फंड जैसे क्रेडिट रिस्क फंड में लगाया जा सकता है। इसकिए निकासी से पहले Exit Load पर भी ध्यान देना जरूरी है।

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