
चुटकियों में सीख जाएंगे Mutual फंड का पूरा गणित, क्लिक कर जानें MF से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावली

Mutual Fund Terms in Hindi: बहुत सारे नए निवेशक सीधे शेयरों में नहीं, लेकिन वे म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के रास्ते कंपनियों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। इससे यह तो पता चलता है कि म्यूच्यूअल फंड के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ा है। लेकिन इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी होना भी जरूरी है। अधिकांश निवेशक विशेष रूप से पहली बार निवेश करने वाले Mutual Fund से जुड़े टर्म को समझ नहीं पाते है। AUM, AMC, NAV आदि जैसे शब्दजाल इन्वेंटर के के लिए भ्रामक और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। हालांकि, ये बहुत ही सामान्य शब्दावली हैं जिनका उपयोग अक्सर Mutual Funds Schemes में किया जाता है।
आज हम म्यूच्यूअल फण्ड से संबधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दों (Mutual Fund Terms) का उल्लेख अपने लेख के माध्यम से पाठकों के सामने रखने की कोशिश करेंगे। तो आइए जानते हैं म्यूच्यूअल फण्ड में आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले शब्दों (Mutual Fund Terms in Hindi) के बारे में।
Mutual Fund के शब्दों की शब्दावली जानने से पहले निवेशकों को भारत में शासी निकायों (Governing bodies) के बारे में भी पता होना चाहिए। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड जिसे अंग्रेजी में Securities and Exchange Board of India (SEBI) कहा जाता है। SEBI म्यूचुअल फंड के प्रॉपर फंक्शन के रुल्स और रेगुलेशन बनाता है। यह केटेगरी और स्कीम्स के प्रकारों के लिए नियमों को अनिवार्य करता है और साथ ही निवेशकों के हितों को सुनिश्चित करता है।
SEBI एक रेगुलेटरी बॉडी है जो बाजार में लॉन्च होने वाले Mutual Funds स्कीम्स को नियमों के अनुसार विस्तृत और सच्ची जानकारी और कार्य करती देखती है। इसी तरह एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) एक उद्योग-मानक संगठन (Industry-standard Organization) है, जिसका उद्देश्य पूंजी बाजार (Capital Markets) और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का विकास करना है। ज्यादातर म्यूचुअल फंड लॉन्चिंग फर्म इसके सदस्य हैं और वे सुनिश्चित करते हैं कि वे पेशेवर और नैतिक रूप से काम करें।
नेट एसेट वैल्यू (Net Asset Value - NAV)
यह म्यूच्यूअल फंड का बहुत ही प्रचलित शब्द है, जब म्यूच्यूअल फण्ड की बात हो रही हो तो अक्सर यह (NAV) शब्द सुनने को मिलता है। Net Asset Value वह मूल्य होता है जिस मूल्य पर आप एक म्यूच्यूअल फंड योजना को खरीदते हैं। जब निवेशक अपनी पूंजी को म्यूच्यूअल फण्ड के किसी स्कीम में निवेश करता है तब उसके द्वारा निवेशित पूंजी की वैल्यू के हिसाब से यूनिट यानि ईकाई इशू किये जाते है। प्रत्येक यूनिट के वैल्यू को NAV कहा जाता है। जब निवेशक किसी भी फंड में निवेश करता है तो उस फंड के यूनिट को उसके NAV के मूल्य पर खरीदना होता है।
एक फंड स्कीम के टोटल एसेट को बाजार में बकाया इकाइयों से डिवाइड करके म्यूचुअल फंड स्कीम की एक यूनिट की वैल्यू दी जाती है। उच्च एनएवी का मतलब है कि प्रति यूनिट कीमत अधिक है, इसलिए यह स्कीम महंगी है लेकिन इसका मतलब यह भी है कि इसने समय के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन कभी कभी कम NAV वाले फंड अधिक रिटर्न दे सकते हैं और सस्ते हो सकते हैं। इसलिए किसी फंड के प्रदर्शन को आंकने के लिए एनएवी अंतिम पैरामीटर नहीं हो सकता है।
फंड मैनेजर (Fund Manager)
यह वह व्यक्ति होता है जिसे एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी निवेश से संबंधित निर्णय लेने के लिए नियुक्त करती है। फंड मैनेजर निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए निवेश से संबंधित निर्णय लेता है।
एसेट मैनेजमेंट कंपनीज (Asset Management Companies - AMC)
Mutual Fund Schemes फंड हाउस द्वारा शुरू की जाती हैं जो विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं और SEBI द्वारा अनिवार्य कई केटेगरी से संबंधित हो सकती हैं। एक फर्म बहुत सारी योजनाएं शुरू कर सकती है। ये फर्म या फंड हाउस एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) हैं और उन्हें ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे कई इंवेटर्स से पैसा जमा करते हैं और कई तरह के एसेट जैसे स्टॉक, डेट सिक्योरिटीज, सोना आदि में निवेश करते हैं। AMC पहले से निर्धारित एसेट को इक्कठा करते है, मैनेज करते है और फिर विभिन्न प्रकार के मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करते हैं इसलिए उन्हें एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के रूप में जाना जाता है।
एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (Assets Under Management - AUM)
जैसा कि नाम से संकेत मिलता है, AMC के अंडर मैनेज होने वाली कुल असेट को एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) कहा जाता है। AUM एक फंड हाउस के कोष आकार (Corpus Size) को इंडीकेट करता है, बड़े साइज का मतलब है ज्यादा निवेशक और ज्यादा इन्वेस्ट किया गया धन है। यह अक्सर विश्वास और क्वालिटी के लिए ट्रेडमार्क के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, क्योंकि प्रतिष्ठित AMC में आमतौर पर अधिक निवेशक और बड़ा AMU होता है। लाखों इंवेटर्स AMC द्वारा शुरू की गई स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं और कई लोग पैसा निकाल सकते हैं।
कोरपस (Corpus)
किसी म्यूच्यूअल फण्ड योजना के लिए एक बार में एकत्रित कुल पूंजी को कोरपस कहा जाता है।
मार्केट कैप (Market Cap)
मार्केट कैप का अर्थ होता है, किसी कंपनी का शेयर बाजार में निर्धारित मूल्य। शेयर मार्किट में कंपनियों को उनके मार्किट कैप के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है जैसे- लार्ज कैप, मिड-कैप, स्माल कैप।
एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio)
निवेशकों को हमेशा सलाह दी जाती है कि किसी फंड में निवेश करने से पहले एक्सपेंस रेशियो की जांच कर लें क्योंकि यह रिटर्न को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। एक्सपेंस रेश्यो एक तरह से यह फंड हाउस द्वारा निवेशकों से ली जाने वाली फीस होती है।
फंड के Expense Ratio से ही ये तय होता है कि कोई फंड आपको कितना सस्ता या महंगा मिलेगा। बाजार में ऐसी कई म्यूचुअल फंड स्कीम हैं, जिनका एक्सपेंस रेश्यो 1 फीसदी से भी कम है। लेकिन उनमें से कई में शानदार रिटर्न मिलता आया है। यानी कम लागत में ज्यादा कमाई। म्यूचुअल फंड के मैनेजमेंट पर जो खर्च आता है, इसी खर्च का अनुपात एक्सपेंस रेश्यो कहलाता है। सेबी Expense Ratio की अधिकतम सीमा निर्धारित करता है जो कि फंड स्कीम्स के इक्विटी, हाइब्रिड या डेट जैसे प्रकारों के आधार पर हो सकती है।
एंट्री/एग्जिट लोड एंड नो-लोड फंड (Entry/Exit Load & No-Load Funds)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) को छोड़कर अधिकांश फंड किसी भी लॉक-इन पीरियड के साथ नहीं आते हैं और आप जब चाहें यूनिट्स को भुना सकते हैं। हालांकि अगर निवेशक किसी विशेष अवधि के लिए निवेश करने की योजना बनाते हैं, तो फंड हाउस यह मानता है कि उसके पास उस टाइम पीरियड के लिए निवेशकों का पैसा है और वह इसे रिटर्न उत्पन्न करने के लिए भी निवेश कर सकता है। अगर निवेश बिना किसी निश्चित समय में आपके अपने फंड को निकाल लेते है तो फंड मैनेजरों की प्लान के अनुसार रिटर्न उत्पन्न नहीं कर सकते हैं। इसलिए निवेशक से टोल लिया जाता है, इसलिए इसे एक्जिट लोड चार्ज कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे यूनिट्स को कम कॉस्ट पर थर्ड पार्टी को बेच सकते हैं या बिचौलियों को कमीशन दे सकते हैं।
इसी तरह जब निवेशक किसी नई स्कीम में एंट्री करते हैं या निवेश करते हैं, जिसे आमतौर पर NAV में जोड़ा जाता है, तो कुछ फंड एंट्री लोड भी लेते हैं। इसे यूनिट्स के एलोकेशन के समय जोड़ा जाता है। नो-लोड फंड वे फंड होते हैं जो किसी भी तरह के एंट्री/एग्जिट लोड या इस तरह के किसी अन्य शुल्क से मुक्त होते हैं।
सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस (Systematic Investment Plans - SIPs)
अधिकतर लोग म्यूच्यूअल फंड और SIP में भ्रमित रहते है। SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका है। जो लोग एकमुश्त रकम निवेश नहीं कर सकते है वह SIP का उपयोग करके हर महीने अपने एकाउंट से निर्धारित पैसा कटवार म्यूच्यूअल फंड की यूनिट्स खरीद सकते है। इसके कई फायदे हैं जैसे कि यह निवेशकों को छोटी मात्रा में निवेश करने, नियमित निवेश करने की आदत विकसित करने और चक्रवृद्धि ब्याज प्राप्त करने की अनुमति देता है। इसके आलवा आप मंथली SIP की राशि को आटोमेटिक डिडक्शन मोड पर लगा सकते है। आप मिनीमन 500 रुपए से SIP के जरिए म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते है।
सिस्टेमेटिक विथडरॉल प्लांस (Systematic Withdrawal Plans - SWPs)
SIP में जैसे आप एकमुश्त निवेश के स्थान पर समय-समय पर भुगतान करते हैं, ठीक वैसे ही SWPs में आप यूनिट्स को एक बार में भुनाने के बजाय समय-समय पर भुना सकते हैं। SWPs आपकी यूनिट्स को कार्यकाल के दौरान समान रूप से बेचते हैं और मासिक, त्रैमासिक या द्वि-वार्षिक भुगतान करते हैं।
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (Systematic Transfer Plans - STPs)
अगर आप एक ही AMC के भीतर एक स्कीम से दूसरी स्कीम में स्विच करना चाहते हैं और यूनिट्स को एक ही बार में बेचना नहीं चाहते हैं, तो आप STP का विकल्प चुन सकते हैं। यहां आप समय-समय पर एक SIP की तरह किसी स्कीम की यूनिट्स खरीदते हैं लेकिन इन यूनिट्स को किसी अन्य स्कीम्स से यूनिट्स को भुनाने की कीमत पर खरीदा जाता है। आप एक ऐसे डेट फंड में निवेश कर सकते हैं जो कम जोखिम वाला, कम रिटर्न वाला फंड हो और अच्छा रिटर्न उत्पन्न करता हो। इसके लिए आपको STP का सहारा लेना पड़ेगा।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (Equity Linked Savings Scheme - ELLS)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELLS) एक प्रकार का SIP है जो म्यूचुअल फंड के बीच एकमात्र टैक्स सेवर प्लान है। जैसा कि नाम से पता चलता है यह एक इक्विटी म्यूचुअल फंड है और इसमें आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट है।
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (Unit Linked Insurance Plan - ULIP)
कुछ निवेशक अक्सर ELLS और ULIP को भ्रमित रहते हैं। ULIP यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान के लिए है और ELLS एक टैक्स सेवर SIP है। यूलिप एक इंश्योरेंस-कम-इन्वेस्टमेंट प्लान है जिसमें कर लाभ होते हैं जिसका लाभ आप आयकर अधिनियम की धारा 80सी और धारा 10(10डी) के तहत प्रीमियम और मैच्योरिटी इनकम पर प्राप्त कर सकते हैं। यह निवेश के आधार पर अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक हो सकता है चाहे वह इक्विटी, हाइब्रिड या डेट हो।
रूपी कॉस्ट ऐवरेजिंग (Rupee Cost Averaging)
यह SIP का अधिक पर्यायवाची शब्द है जहां निवेशक समय-समय पर निवेश करते हैं और समय-समय पर म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदते हैं। जब NAV अधिक होता है, तो आप कम यूनिट खरीदते हैं और कीमतें कम होने पर आप अधिक यूनिट खरीद सकते हैं। यह कुल यूनिट्स की खरीद की कुल कॉस्ट का एवरेज निकालने में मदद करता है, जिसे निवेशक एकमुश्त निवेश के माध्यम से खरीदने पर उच्च कीमतों पर खरीद सकते हैं।
इंवेस्ट प्योरली इन डेब्ट (Invest Purely in Debt)
जो निवेशक रिस्क यानी जोखिम लेने से डरते हैं और जो लोग नहीं चाहते हैं कि जिस धन को वे म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैा, वह शेयर मार्केट में निवेश नहीं किया जाये, वे इंवेस्ट प्योरली इन डेब्ट के अंतर्गत निवेश कर सकते हैं। उनके लिये कम जोखिम वाला इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादा सही रहता है।
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