उत्तर-प्रदेश

वैक्सीन को डर कर गांव वालों ने नदी में छलांग मारी और कहा "बिमारी चलेगी पर इंजेक्शन नहीं।"

Janprahar Desk
24 Jun 2021 10:30 PM GMT
वैक्सीन को डर कर गांव वालों ने नदी में छलांग मारी और कहा बिमारी चलेगी पर इंजेक्शन नहीं।
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वैक्सीन को डर कर गांव वालों ने नदी में छलांग मारी और कहा "बिमारी चलेगी पर इंजेक्शन नहीं।"

आज पूरा देश कोरोना की महामारी से हाथ मिला रहा है। यह बीमारी हर जगह मौत कि वजह बन रही है। कोरोना की दूसरी लहर और भी विनाशकारी होती जा रही है, बीमारी को हराने का एक ही तरीका है। इस बीमारी के खिलाफ एक टीका है।

जिन लोगों को इस बीमारी के खिलाफ टीका लगाया गया है, उन्हें जैसे ही कोरोनावायरस हो जाता है, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इससे लड़ने के लिए बनी रहती है। इसलिए इस बीमारी को नियंत्रित करने का एकमात्र तरीका टीकाकरण है, सभी विशेषज्ञ कह चुके हैं और अभी भी कह रहे हैं। लेकिन फिर भी टीकाकरण को लेकर देश में भ्रांतियां हैं।

पर्याप्त जागरूकता नहीं है और इसलिए लोग टीकाकरण से डर रहे हैं। अब जब ऐसा ही पैटर्न उत्तर प्रदेश में सामने आया है तो विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। साफ है कि ग्रामीण इलाकों में अभी भी जागरूकता की कमी है और इससे एक बहुत ही अजीब घटना हुई है!

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, जिले के सिसोदा गांव में स्वास्थ्य विभाग के जवान टीकाकरण के लिए पहुंचे! हालांकि उन्हें देखकर लोग टीकाकरण से बचने के लिए नदी में कूद पड़े। एक तरफ देश में टीकों की कमी है तो दूसरी तरफ यह बात सामने आई है कि स्वास्थ्य विभाग को अभी और कुछ करने की जरूरत है!

ग्रामीण लोगों के नदी में कूदने के बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों ने उन्हें बाहर आने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया! तब डिप्टी कलेक्टर ने इन लोगों को काफी देर तक सीधे समझा और उसके बाद ही लोग नदी से बाहर निकले।

सिसौदा गांव की आबादी करीब 1500 है और अभी तक 14 लोगों को टीका लगाया गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची और स्टाफ ने टीकाकरण के निर्देश दिए! लेकिन गांव के लोग बहुत डर गए और गांव के बाहर बहने वाली सरयू नदी के किनारे जाकर बैठ गए!

यह देख स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ इन लोगों को समझाने वहां गया। लेकिन, इन कर्मचारियों को अपनी ओर आते देख ये लोग सीधे नदी में कूद गए। वे टीकाकरण से बचने के लिए अपनी जान जोखिम में डाले बिना नदी में कूद गए।

स्वास्थ्य कर्मचारियों के तमाम समझाने के बावजूद लोगों ने बाहर आने से मना कर दिया। अंतत: डिप्टी कलेक्टर ने बीच-बचाव कर ग्रामिण लोगों को समझाया।

उन्होंने ग्रामीण लोगों की भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया। तमाम कोशिशों के बाद भी गांव के 14 लोगों को ही टीका लगाया गया। इसलिए अब सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह टीकाकरण जागरूकता को लेकर और भी महत्वपूर्ण कदम उठाए।

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