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Delhi Election Results 2020: दिल्ली में कांग्रेस की 63 सीटों पर जमानत तक हो गई जब्त।

Janprahar Desk
11 Feb 2020 9:28 PM GMT
Delhi Election Results 2020: दिल्ली में कांग्रेस की 63 सीटों पर जमानत तक हो गई जब्त।
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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के साथ फिर एक बार सरकार बनाने जा रही है. इससे लगता है कि आम आदमी पार्टी जोरदार तरीके से सत्ता पर तीसरी बार काबिज होने जा रही है और बीजेपी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है. लेकिन कांग्रेस (Congress) के

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के साथ फिर एक बार सरकार बनाने जा रही है. इससे लगता है कि आम आदमी पार्टी जोरदार तरीके से सत्ता पर तीसरी बार काबिज होने जा रही है और बीजेपी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है. लेकिन कांग्रेस (Congress) के लिए यह चुनाव निराशा भरा है. कांग्रेस को 2015 की तरह अबतक शून्य सीट मिली है और इस बार तो पार्टी का मत प्रतिशत भी कम हो गया है.

दिलचस्प बात यह है कि कुल 66 (70 में 4 सीटों पर आरजेडी के प्रत्याशी चुनाव लड़े) उम्मीदवारों में 3 प्रत्याशियों की बड़ी मुश्किल से जमानत बच पाई है. कांग्रेस की 63 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस की जमानत राशि भी जब्त हो गई. कांग्रेस ने 4 सीटें लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी को दी थी. पालम, किराड़ी, बुराड़ी और उत्तम नगर में गठबंधन के तहत आरजेडी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे.

कांग्रेस (Congress) गठबंधन को 70 में एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही. कांग्रेस के लिए दुखद बात यह भी है कि उसके वोट शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं. इस बार 4.36 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिलता दिख रहा है. हालांकि यह वोट शेयर सीट में तब्दील नहीं हो पाया. ठीक वैसे ही जैसे बीजेपी का वोट शेयर तकरीबन 39 फीसदी रहा लेकिन सीटें मजह 8 मिली हैं. 2015 के लिहाज से 2020 का चुनाव देखें तो कांग्रेस एक पायदान भी आगे नहीं बढ़ पाई क्योंकि पिछले चुनाव में भी वह शून्य पर रही और इस बार भी यही स्थिति देखी जा रही है.

कांग्रेस पार्टी ने इस बार स्टार कैंपेनर में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को उतारा. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी नाम था लेकिन ऐन वक्त उनकी तबीयत खराब हो गई. पूरे चुनावी कैंपेन में कांग्रेस ने बीजेपी को अपना धुर विरोधी बताया लेकिन उसके वोट शेयर कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच बंट गए. कांग्रेस ने यहां तक कहा कि बीजेपी से पार पाने के लिए वह कोई भी बलिदान देने को तैयार है. उसकी बात अक्षरशः साबित हुई और उसके सभी वोटर्स बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच बंट गए.

कांग्रेस ने अपने पोस्टर पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जगह दी और नारा दिया-फिर से कांग्रेस वाली दिल्ली लाएंगे. हालांकि पोस्टर पर शीला दीक्षित नजर जरूर आईं लेकिन उनकी विरासत दिल्ली से पूरी तरह गायब हो गई. शीला ने दिल्ली पर 15 साल एकछत्र राज किया, हालांकि उनके जाते ही पार्टी आज 5 फीसदी वोट शेयर के लिए जूझती दिख रही है.

इसकी नाराजगी कांग्रेस में देखी जा रही है. तभी उनके बेटे संदीप दीक्षित ने खुलेआम कहा कि दिल्ली में कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता अब नेता नहीं बल्कि ऑफिस बॉय ज्यादा हैं, जिनके बड़े-बड़े फार्महाउस हैं. ऐसे नेता कॉर्पोरेशन का चुनाव भी नहीं जीत सकते. संदीप दीक्षित ने कहा, दिल्ली में कांग्रेस ने शीला जी की सरकार को बदनाम किया. लोकसभा चुनाव के बाद वोट प्रतिशत बढ़ने के बावजूद कांग्रेस शीला दीक्षित को जलील करने में लग गई. यही वजह है कि लोगों को कांग्रेस नहीं भा सकी. संदीप दीक्षित की यह बात कांग्रेस के लिए सबक समझी जा सकती है.

चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र की तीनों सीटों चांदनी चौक, बल्लीमारान और मटिया महल (जामा मस्जिद) पर आम आदमी पार्टी का परचम लहरा गया है. इन तीनों ही सीटों से कांग्रेस और बीजेपी ने अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा था. जहां कांग्रेस के लिए इन सीटों पर जमानत बचाना मुश्किल हो गया, वहीं बीजेपी भी आम आदमी पार्टी को कोई टक्कर नहीं दे पाई. चांदनी चौक सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अलका लांबा को महज पांच फीसदी वोट ही हासिल हो पाए. दिल्ली की 70 में 66 सीटों पर कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुई और तीन सीटें ऐसी रहीं जहां हार तो हुई ही, मुश्किल से जमानत बच पाई. ये 3 सीटें हैं-गांधी नगर, बादली और कस्तूरबा नगर.

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