80 साल के बुज़ुर्ग को हॉस्पिटल वालो ने बेड से बांधा, पिछले दो साल से नहीं बना इस पर कानून

पिछले हफ्ते एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे ८० साल के बुज़ुर्ग को हॉस्पिटल के बीएड से बाँध दिए था। इसकी वजह जब सामने आई तो पता चला ली अपना कोविद का खर्चा ना दे पाने पर उनके साथ ये जुल्म हुआ।
Madhya Pradesh: An 80-yr-old man found tied to bed with rope at a hospital in Shajapur allegedly over non-payment of hospital bill. Dist Collector says,‘We’ve sent a team to hospital to investigate matter. Police probe on. Report awaited. Action will be taken accordingly.'(06.06) pic.twitter.com/fWaY4nIi5z
— ANI (@ANI) June 7, 2020
उनके हाथ-पैर बेड के किनारे से बाँध दिए गए थे। जब वहा की मीडिया ने इस बात को रिपोर्ट किया तो लोकल अथॉरिटीज को एक्टिव होना पड़ा। अथॉरिटी ने उस हॉस्पिटल के सारे लाइसेंस जब्त कर लिए और बात ख़तम करदी । पर ये गलत है , केस ऐसे बंद नहीं होते।
साल २०१८ में केंद्र की स्वस्थ मंत्रालय ने 'चार्टर ऑफ़ पेशेंस राइट' बनाए थे। दो साल पुरानी ये गाइड बताती है की एक मरीज़ के क्या अधिकार है और किस परिस्थति में क्या करना चाहिए।
ये ड्राफ्ट आज भी स्वस्थ मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद है , जो कहती है की हर मरीज़ और उसके अभिभावकों को इलाज के रेट्स का पता होने चाहिए।
ड्राफ्ट में साफ़ तोर पर लिखा है की मरीज़ और उसके अभिभावकों को पूरा हक़ है अपने इलाज और उसके रेट्स की जानकारी जानने का , इसका जानकारी सूचन बोर्ड या ब्रॉउचरे में होनी चाहिए।
इसी ड्राफ्ट में कथित तोर पर ये भी लिखा है की बिल की पेमेंट ना होने पर किसी मरीज़ को या उसके शव को हॉस्पिटल में ज़बरदस्ती नहीं रख सकते।
आज २०२० में हमारी दिक्कत ये है की दो साल पहले लाए गए ड्राफ्ट को आज तक ड्राफ्ट ही बना रखा है। इसको कानूनी मान्यता अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
जबकि इस वक़्त की सबसे बड़ी ज़रूरत यही है , क्युकी सेहत की जो बात है। लेकिन इसमें भी लापरवाही देखने को मिली। कोर्ट-कचेहरी ने कई बार इस बात को दोहराया है की कोई भी शव या मरीज़ को बिल ना देने पर नहीं रख सकता , पर इसको जनरल गाइडलाइन्स की तरह अभी तक नहीं बोलै गया है।