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करोड़ों की संपत्ति छोड़ कर इस जैन परिवार ने लिया संन्यास, देखें तस्वीरें !

This Jain family has retired after leaving property worth crores of rupees, see photos!
भुज के इतिहास में पहली बार जैन समुदाय के एक ही परिवार के चार लोग दीक्षा की राह पर चल पड़े हैं। अजरामर पंथ के छह करोड़ स्थानक जैन संघ और वाघड़ के दो चौबीस जैन समाजों में एक ही परिवार के सभी सदस्यों ने पहली बार जैन भगवती दीक्षा ली। यह जैन परिवार कपड़ों का व्यापारी है। उन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति दान कर तपस्या का मार्ग अपनाया है। भुज की पूर्वबेन मेहता ने तेजस्वी गुरु माई के आशीर्वाद से दीक्षा लेने का फैसला किया। धार्मिक माहौल से प्रभावित होकर, पीयूष मेहता, उनके बेटे मेघकुमार और भाई भंज कृष ने भी कठोर भगवती दीक्षा लेने का फैसला किया।
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— News18 Kutch–Bhuj (@News18KutchBhuj) February 8, 2023
पीयूष मेहता के साथ ११वीं और १२वीं कॉमर्स में पढ़ने वाले बेटे और भांजे ने भी तपस्या का मार्ग अपनाने का फैसला किया। जैन समाज की भगवती दीक्षा बहुत कठिन मानी जाती है। इनमें ब्रह्मचर्य, आचार्य और पदयात्रा के महाव्रत का पालन करना होता है। इसलिए तपस्वियों को अपना पूरा जीवन बिना किसी बिजली के उपकरण का उपयोग किए और बिना एक रुपया भी लिए रहना पड़ता है। तपस्या के इस मार्ग पर चलने से पहले तपस्वियों को अपना संपूर्ण धन और संपत्ति दान करनी होती है।
वार्षिक एक करोड़ के टर्नओवर से पीयूषभाई और उनके परिवार ने करोड़ों की संपत्ति जमा कर ली है और सांसारिक सुखों को त्याग कर संन्यास का मार्ग चुन लिया है। उल्लेखनीय है, कि रामवाव परिवार में १९ लोग दीक्षा ले चुके हैं। २६०० साल पहले भी इस समुदाय की आठ बहनों ने एक साथ दीक्षा ली थी। इस दीक्षा के अवसर पर कच्छ, सौराष्ट्र, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई से ५५ से अधिक साधु-संन्यासी भुज आए थे।