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Pune Premature Baby: छठे महीने में ही डिलीवरी, वजन 400 ग्राम....!अब तक के सबसे कम उम्र और समय से पहले बच्चे को जन्म दिया।

Pune Premature Baby: Delivery in the sixth month, weight 400 grams....! Gave birth to the youngest and premature child ever.
Pune Premature Baby: पुणे के एक इंजीनियर दंपती ने अब तक के सबसे छोटे प्रीमैच्योर बच्चे को जन्म दिया है। पुणे के सूर्या मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर में पिछले मई महीने में २४ वें हफ्ते में एक बच्चे का जन्म हुआ है। यह बच्चा अब तक का सबसे छोटा प्रीमैच्योर बेबी भी है। इस बच्चे का वजन ४०० ग्राम है। भारत में अब तक कई प्रीमैच्योर बच्चे पैदा हो चुके हैं। लेकिन डॉक्टर ने कहा है,कि २४ वें हफ्ते में जन्म लेने वाला यह पहला बच्चा है। इस बच्ची का नाम शिवन्या है। डॉक्टरों ने इसे समय से पहले पैदा होने वाला सबसे छोटा और भारत का सबसे छोटा बच्चा बताया है।
पुणे की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाली उज्ज्वला पवार को इमरजेंसी डिलीवरी के लिए लाया गया था। पवार उस वक्त २४ हफ्ते की गर्भवती थीं। उन्होंने २४वें हफ्ते में ही एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची का वजन ४०० ग्राम था। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे बहुत नाजुक होते हैं। इसलिए इस प्रीमैच्योर बच्चे का तुरंत इलाज किया गया।
बच्चे को देख कर डॉक्टर रह गए हैरान ! इस बच्चे का जन्म २४ वें हफ्ते यानी छठे महीने में हुआ है। ऐसे में डॉक्टरों के लिए इन बच्चों को संभालना काफी मुश्किल होता है। उन्होंने पूरी कोशिश की और बच्चे का इलाज किया। लेकिन डॉक्टरों को संदेह था कि बच्चा जीवित रहेगा या नहीं। लेकिन पवार दृढ़ थे। उसने बच्चे के बारे में कुछ भी बुरा नहीं सोचा और हार नहीं मानी। इतने छोटे बच्चे को देखकर और उसकी मां की हिम्मत देखकर डॉक्टर भी कुछ देर के लिए हैरान रह गए।
बच्चे का ९४ दिन का इलाज शुरू हुआ
बच्चे का जन्म २१ मई को हुआ था। बच्चे को ९४ दिनों तक इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया क्योंकि,उसकी हालत बहुत नाजुक थी। फिर बच्चे को २३ अगस्त को छुट्टी दे दी गई। जिस दिन बच्चे का जन्म हुआ उस दिन बच्चे का वजन ४०० ग्राम था और जिस दिन बच्चे को ९२ दिन बाद डिस्चार्ज किया गया उस दिन बच्चे का वजन करीब २,१३० ग्राम था। बच्चा अब घर पर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। डॉक्टर के अथक परिश्रम से इस बच्ची की जान बचाइ ,अब शिवन्या उसके घर पैर सवस्त है।
डॉक्टर की अधिकतम...
हमने देखा है,कि पुणे में कई डॉक्टरों ने इस तरह की दुर्लभ सर्जरी की है,लेकिन २४ वें हफ्ते में बच्चे को जन्म देना और डॉक्टरों के लिए बच्चे को जिंदा रखना एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन डॉक्टर्स और परिवार वालों के सब्र के चलते शिवन्या आज इस दुनिया में हैं।