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Eat the human brain: इस जनजाति के लोग खाते हैं इंसान का दिमाग! अंतिम संस्कार के दौरान निभाई जाती है अजीब परंपरा!

People of this tribe eat the human brain! Strange tradition is played during funerals!
Eat the human brain: दुनिया रहस्यमय जनजातियों से भरी पड़ी है। ये जनजातियां अपनी परंपराओं,रहन-सहन और खान-पान के लिए जानी जाती हैं। दुनिया में रहने वाली आदिवासी प्रजातियां आज भी हजारों साल पुरानी परंपराओं का पालन करती हैं। ये जनजातियाँ जहाँ भी रहती हैं,वहा उनका पूरा अधिकार होता है। यहां तक कि सरकार भी इन प्रजातियों के अधिकारों में दखल नहीं देती।
दुनिया में पाई जाने वाली कुछ ऐसी जनजातियां बेहद खतरनाक मानी जाती हैं। इसमें पापुआ न्यू गिनी में पाई जाने वाली एक जनजाति भी शामिल है। यह जनजाति अपने अजीबोगरीब रीति-रिवाजों के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इस जनजाति में किसी भी व्यक्ति के दाह संस्कार के दौरान इंसानी दिमाग खाने की परंपरा थी। आइए जानें पापुआ न्यू गिनी में पाई जाने वाली इस जनजाति के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
फोर जनजाति ब्रिटेन और पापुआ न्यू गिनी में पाई जाती है। वैज्ञानिकों ने इन जनजातियों के लोगों पर शोध किया है। इस रिसर्च में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस जनजाति के आहार में मृत संबंधियों का दिमाग भी शामिल था। अब उन्होंने कुरु नामक बीमारी के लिए एक अनुवांशिक प्रतिरक्षा विकसित की है। यह रोग माड़ काऊ रोग के समान है। इस शोध से पार्किंसंस रोग और मनोभ्रंश जैसे प्रायन रोगों के लिए नए उपचार हो सकते हैं।
इस तरह की दावत का आयोजन तब किया जाता था जब फोर जनजाति में किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता था। इन उदाहरणों में पुरुष अपने मृत रिश्तेदारों का मांस खाते थे, जबकि महिलाएं उनका दिमाग खाती थीं। इस रिवाज को हमारे प्रियजनों के सम्मान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता था। इस जनजाति का मानना था कि शव को कहीं गाड़ने या रखने से उसे कीड़े खा जाते हैं। मृतक के प्रियजनों के लिए शरीर को खाना अच्छा है।
महिला मृत व्यक्ति के शरीर से मस्तिष्क निकाल कर बाँस में पकाती थीं। शरीर का सारा मांस भूनकर पित्ताशय निकाल कर खा लिया जाता था। इन जनजातियों के लोगों को यह नहीं पता था कि मानव मस्तिष्क में एक घातक अणु होता है जो अगर निगल लिया जाए तो मृत्यु का कारण बन सकता है।
न्यू गिनी के जिला चिकित्सा अधिकारियों ने पापुआ न्यू गिनी में रहने वाले एक जनजाति के कुछ लोगों के बीच घातक और रहस्यमय बीमारी की खोज की। इस बीमारी के कारण वह न तो चल पाता था और न ही खाना खा पाता था। वे धीरे-धीरे कमजोर हो गए और मर गए। इस जनजाति के लोगों ने इस बीमारी का नाम कुरु रखा जिसका अर्थ है 'भय से कांपना'।