Breaking News

Asumal To Asaram: शराब बेचने वाला कैसे बना आसुमल से आसाराम? देश भर में इतने भक्त कैसे हो गए? जानिए उसका सफर.......!

Sudarshan Kendre
1 Feb 2023 8:37 AM GMT
Asumal To Asaram: How did Asaram become a liquor seller? How did there become so many devotees across the country? Know his journey...!
x

Asumal To Asaram: How did Asaram become a liquor seller? How did there become so many devotees across the country? Know his journey...!

गांधीनगर कोर्ट ने दो लड़कियों पर रेप के आरोप में आसाराम बापू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। आसाराम को अगस्त २०१३ में इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। एक वक्त था,जब आसाराम चाय की दुकान चलता था। लोग तब उसे आसुमल नाम से जानते थे।आइए देखते हैं आसुमल से लेकर आसाराम तक की कहानी......

उसका जन्म १७ अप्रैल १९४२ को नवाबशाह (अब पाकिस्तान में) के बरनी गाँव में पेशे से व्यवसायी 'थिमल सिरुमलानी और मेहगी बा' के यहाँ हुआ था। तब इसका नाम आसुमल था। बंटवारे के वक्त आसुमल का परिवार भी भारत आ गया। आसाराम का परिवार अहमदाबाद के पास मणिनगर में बस गया, लेकिन जल्द ही आसुमल के पिता की मृत्यु हो गई। फिर बचपन में ही आसुमल पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। आसुमल मेहसाणा के बीजापुर में चला गया, जो उस समय बाजीपुरा 'ग्रेटर मुंबई' था। यह १९५८-५९ के आसपास की बात होगी।

वो चाय की दुकान आज भी वहीं है:- बीजापुर में आज भी एक चाय की दुकान है, जो मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर थी। आसुमल को जानने वाले बताते हैं,कि एक समय में आसुमल इसी दुकान पर बैठा करता था। यह दुकान आसुमल के रिश्तेदार सेवक राम की थी। सूत्रों का कहना है,कि आसुमल काफी समय से चाय की दुकान चला रहा था। साथ ही उन्होंने लंबी दाढ़ी भी बढ़ानी शुरू कर दी थी। वहां रहने वाले कई बुजुर्ग उस समय को नहीं भूले हैं।

हत्या का भी,है आरोप:- अतीत को जानने वालों की माने तो आसाराम का विवादों से घिरा लंबा इतिहास रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक आसुमल और उसके रिश्तेदारों पर १९५९ में शराब के नशे में हत्या करने का भी आरोप लगाया गया था। सबूतों के अभाव में आसुमल को बरी कर दिया गया।

बाजार में शराब बेचकर मोटा मुनाफा कमाना:- कहा जाता है,कि हत्या से बरी होने के बाद आसुमल ने बीजापुर छोड़ दिया था। अहमदाबाद के सरदारनगर इलाके में आ कर बस गए। यह लगभग ६० का दशक होगा। यहां भी आसाराम को जानने का दावा करने वाले 'आसुमल के अतीत के बारे में हैरतअंगेज कहानियां सुनाते हैं'। वहां के कुछ लोगों का दावा है, कि वह और आसुमल कभी दोस्त थे। उसके दोस्त होने का दावा करने वालों का कहना है,कि आसुमल शराब का धंधा करता था। इस धंधे में आसुमल के चार पार्टनर थे। उनके नाम थे जमरमल, नथुमल, लचरानी और किशन मल, सभी सिंधी जमती के थे।

फिर एक दूध की दुकान पर नौकरी की और गायब हो गया:- आसाराम को जानने वालों का कहना है,कि आसुमल के इस अतीत को हम भूल नहीं सकते। आसुमल उनकी दुकान पर सफेद बनियान और नीले रंग का शॉर्ट्स पहनकर शराब खरीदने आता था। उनके जानने वालों का कहना है,कि आसुमल ने तीन-चार साल बाद शराब का कारोबार छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने एक दूध की दुकान में महज ३०० रुपए में काम करना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वह गायब हो गया। फिर कई सालों बाद आसुमल नहीं ,बल्कि आसाराम दुनिया के सामने आए।

सवाल यह है,कि आसुमल आम आदमी से आध्यात्मिक गुरु आसाराम कैसे बना? कहानी ७० के दशक से शुरू होती है। ऐसा कहा जाता है,कि आसुमल ने आध्यात्मिकता की ओर मुड़ने से पहले विभिन्न व्यवसायों में हाथ आजमाया था। लेकिन आसुमल को उन व्यवसायों में ज्याद मुनाफा नजर नहीं आया। दरअसल, आसुमल की मां आध्यात्मिक रूप से प्रवृत्त थीं। कहा जाता है,कि यह उनकी मां का प्रभाव था जिसने उन्हें आध्यात्मिकता की ओर खींचा। आसुमल पहले कुछ तांत्रिक को के संपर्क में आया। उनसे कुछ जानकारी मिलने के बाद उसने प्रवचन देना भी शुरू किया, लेकिन वे इस कला में पूरी तरह निपुण नहीं था। बाद में वे आध्यात्मिक समारोह में जाने लगा। लोग उसे बापूजी कहने लगे। हालांकि, आसुमल को आध्यात्म की ओर बढ़ता देख उनके परिवार वाले चिंतित हो गए।

आसाराम की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, आसुमल शादी से बचने के लिए घर से भाग गया था। आखिरकार, आसुमल को परिवार के आगे झुकना ही पड़ा। उनका विवाह लक्ष्मी देवी से हुआ था। शादी के बाद भी आसुमल की अध्यात्म में रुचि कम नहीं हुई। फिर आसुमल गुरु की तलाश में था। कहा जाता है,कि यह खोज गुजरात के बनासकांठा जिले में पूरी हुई है। आसुमल को लीला शाह बापू नामक का एक गुरु मिला। आसुमल के अतीत को जानने वालों के अनुसार वह कुछ समय लीलाशाह बापू के साथ रहा। यहां उसका नाम आसुमल से बदलकर आसाराम कर दिया गया। नए नाम और नई पहचान के साथ आसाराम आखिरकार अहमदाबाद के मोटेरा पहुंचा।

साबरमती नदी के किनारे आसाराम ने कच्चा आश्रम बना लिया। धीरे-धीरे आसाराम अपने प्रवचनों के लिए लोकप्रिय हो गया। उसके साथ श्रद्धालु लोग जुड़ने लगे। फिर वो वक्त आया जब आसाराम टेलीविजन पर भी नजर आए। टेलीविजन पर उनके प्रवचन लोकप्रिय हुए। देश भर में भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। देश भर में फैले आश्रमों की संख्या भी ४०० तक पहुंच गई है। आसाराम देश के महान आध्यात्मिक नेताओं की श्रेणी में शामिल हो गया। आसाराम फिलहाल जोधपुर जेल में सजा काट रहा है। अब उसे दो बहनों पर दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अब से वह अपनी जिंदगी जेल में बिताएगा।

Next Story