
- Home
- /
- Breaking News
- /
- बुलेट के बाद आया 1987...
बुलेट के बाद आया 1987 का गेहूं का बिल, गेहूं के दाम देखकर सर घूम गया.....!

After the bullet, the wheat bill of 1987 came, seeing the price of wheat, the head turned around.
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पुराना बिल वायरल हुआ। घर में पुराने दस्तावेज चेक करने के दौरान एक व्यक्ति को बिल दिख गया और उसने इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। देखते ही देखते यह बिल खूब वायरल हो गया। वजह है इस बिल पर बुलेट की कीमत। बुलेट के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं। बिल में बाइक की ऑन-रोड कीमत महज १८,७०० रुपये शामिल थी, जो आज की तुलना में लगभग १० गुना कम है। इंटरनेट पर वायरल हो रहा ये बिल ३६ साल पहले का है। इसी बीच गेहूं का बिल कुछ ऐसा ही वायरल हो गया है। अब आइए जानते हैं कि ३६ साल पहले क्या थी गेहूं की कीमत..
Time when wheat used to be at 1.6 rupees per kg. The wheat crop my grandfather sold in 1987 to Food Corporation of India. pic.twitter.com/kArySiSTj4
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) January 2, 2023
पुराने जमाने में अक्सर हमने घर के बड़े-बुजुर्गों से सब्जी या अनाज के दाम के बारे में सुना होगा। वे कहते हैं,कि हमारे समय में इस भाई के साथ ऐसा हुआ, इस भाई के साथ ऐसा हुआ। खाने-पीने के खर्चे के बारे में आपने कभी सोचा होगा। भारतीय वन सेवा के अधिकारी प्रवीण कस्वां ने ट्विटर पर १९८७ के गेहूं के बिल की यह फोटो शेयर की है।
भारतीय खाद्य निगम को बेचे जाने वाले गेहूं के पुराने बिल से लोग हैरान रह गए। IAF अधिकारी ने 'J फॉर्म' की बिक्री रसीद शेयर की, जिसे उनके किसान दादा ने बाजार में बेचा था। IAF अधिकारी प्रवीण कस्वां ने ट्वीट किया, “जब गेहूं १.६ रुपये प्रति किलो था। मेरे दादाजी ने १९८७ में गेहूं की फसल भारतीय खाद्य निगम को बेच दी थी"।
उन्होंने कहा कि उनके दादाजी को रिकॉर्ड रखने की आदत थी। "इस बिल पर नाम फॉर्म था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके संग्रह में पिछले ४० वर्षों में बेची गई सभी फसलों के दस्तावेज हैं। इस पोस्ट को देखने के बाद कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। लोगों ने अधिकारी के दादा की आदत की तारीफ की है।
एक यूजर ने लिखा, “बहुत बढ़िया। उस समय के बड़े-बुजुर्ग खर्च किए गए हर पैसे का पूरा हिसाब लिखते थे। इस तरह बेची गई फसल का रिकॉर्ड रखा जाए। एक अन्य यूजर का कमेंट है, “जे फॉर्म, एक किसान के लिए सबसे जरूरी दस्तावेज"। 'जे फॉर्म' उन किसानों के लिए एक आय प्रमाण है जो अपनी फसल बेचते हैं। फार्म के डिजिटाइजेशन से पहले कई एजेंट किसानों को फार्म उपलब्ध कराने के बजाय अपने पास रख लेते थे।
